अंगेला मैर्केल सरकार के सौ दिन
५ फ़रवरी २०१०विपक्ष जो भी कहे चांसलर ने साझा सरकार की सभी आलोचनाओं को खारिज़ करते हुए कहा है कि मोर्चा अच्छी तरह गति में आया है. उन्होंने आर्थिक और वित्तीय संकट के कारण बेरोज़गारी की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए क़दमों को सत्ताधारी मोर्चे की सफलता का सबूत बताया और कहा कि कुल मिलाकर शासन की गति महागठबंधन के समय से बेहतर रही है.
चांसलर का कहना है, "हर शुरुआत की अपनी विशेषता होती है, लेकिन मेरे विचार में, हमने जर्मनी के लिए जो कुछ ज़रूरी है, किया है."
चुनाव के बाद विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी चांसलर मैर्केल की सीडीयू के साथ महागठबंधन को जारी रखना चाहती थी, लेकिन चांसलर ने महागठबंधन के बदले एफ़डीपी के साथ गठबंधन बनाने का फ़ैसला किया. कर राहत की मांगों के कारण एफ़डीपी की आलोचना होती रही है.
चांसलर मैर्केल ने एफ़डीपी के साथ अपने सहयोग के बारे में कहा कि वे गठबंधन में मज़े से काम कर रही हैं. चांसलर ने कर सुधारों का समर्थन करते हुए कहा कि बहुत से नागरिक देश की कर व्यवस्था को न्यायपूर्ण नहीं समझते.
जर्मन चांसलर ने संभावित करचोरों की जानकारी वाले खातों की सूचना को ख़रीदने को मुश्किल फ़ैसला बताया लेकिन सरकार के फ़ैसले को उचित ठहराया. उन्होंने कहा, "कर की चोरी कोई छोटा मोटा अपराध नहीं है, इसलिए हमने वित्त मंत्री और नॉर्थराइन वेस्टफैलिया के प्रांतीय वित्त मंत्रालय द्वारा कानूनी जांच के बाद सूचना की ख़रीद का पक्ष लिया है."
चांसलर मैर्केल भले ही अपनी सरकार के सौ दिनों की उपलब्धियों को सही ठहराएं, एसपीडी नेता फ़्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने सरकार को हर मोर्चे पर विफल करार दिया है. ग्रीन पार्टी ने कहा है कि मैर्केल पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में भी विफल रही हैं क्योंकि कोपेनहेगन जलवायु सम्मेलन की विफलता के लिए वे भी ज़िम्मेदार हैं. जर्मनी के पांच बड़े पर्यावरण संगठनों ने भी मैर्केल पर पर्यावरण नीति को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया है.
मैर्केल सरकार से असंतुष्ट लोगों की सूची में जर्मनी के चोटी के मैनेजर भी हैं. आर्थिक दैनिक हांडेल्सब्लाट द्वारा कराए गए एक जनमत सर्वेक्षण में उन्होंने मोर्चा सरकार को सिर्फ़ 3.2 अंक दिए हैं.
जर्मन टेलिविज़न एआरडी की एक रिपोर्ट के अनुसार 69 प्रतिशत समर्थन के साथ रक्षा मंत्री कार्ल थियोडोर सू गुटेनबर्ग सरकार के सबसे लोकप्रिय मंत्री हैं, जबकि स्वयं चांसलर 60 प्रतिशत के साथ लोकप्रियता में दूसरे नंबर पर हैं. परंपरागत रूप से सबसे लोकप्रिय पद पर काबिज़ विदेशमंत्री गीडो वेस्टरवेले की लोकप्रियता गिरी है. उनके काम से सिर्फ़ 33 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एस गौड़