अंतरिक्ष स्टेशन को मिली नयी ऊर्जा
२१ मार्च २००९जैसे ही डिस्कवरी स्टेशन से जुड़ा वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने रोबोट क्रेनों की मदद से सौर्य डैनों के आखिर पैनल को निकालना शुरू किया. स्टेशन में ख़त्म होती ऊर्जा सप्लाई अब इन पैनलों से सामान्य हो जाएगी. धरती से 220 मील ऊपर भटक रहे इस अंतरिक्ष स्टेशन के लिए नासा का ये 125 वां मिशन है. और डिस्कवरी का 36 वां. इसका बुनियादी काम वहां पावर सिस्टम को स्थापित करना ही है.
सौर डैनों वाले इस पैनल की कीमत है तीस करोड़ डॉलर और वज़न है क़रीब 14 हज़ार किलोग्राम. जी हां. इस वज़न को ठीक से स्टेशन पर उतारने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की टीम ने काफ़ी पसीना बहाया. इसे डिस्कवरी की महा डिक्की से निकालना ही एक विराट काम है और फिर इसे स्टेशन पर संयोजित करना तो पूछिए मत.
एक बार ये ठीक से लग गए तो स्टेशन की 11 हिस्सों वाली रीढ़ अपने निर्माण के एक दशक बाद पूरी हो जाएगी. अभी नासा के नौ और मिशन जाएंगें जो अंतरिक्ष स्टेशन में सारा साजो सामान भरेंगे. स्टेशन की प्रयोगशालाएं तब जाकर साधन संपन्न हो पाएंगी.
और ये जो ऊर्जा सप्लाई डिस्कवरी लेकर गया है, जिसे बोईंग कंपनी ने तैयार किया है, इससे स्टेशन को 124 किलोवॉट की सप्लाई मिलेगी. यानी उतनी ऊर्जा जितनी 42 औसत अमेरिकी घरो को रोशन करने के लिए चाहिए होती है.
डिस्कवरी के चालक दल के सदस्य रिचर्ड आरनोल्ड का कहना है कि स्टेशन तक यान की यात्रा का पता ही नहीं चला. उलटी गिनती के नौ मिनट की उद्दाम हलचल ने एक इंतज़ार को तोड़ा और अगले ही पल आप एक महा यात्रा पर निकल पड़े. और हैरानी है कि ये सब इतनी ख़ामोशी से हुआ.
अंतरिक्ष यान की बाहरी त्वचा से जुड़ी जो आशंकाएं रहती हैं वे भी इस बार नहीं रहीं. डिस्कवरी की हीट शील्ड यानी ऊष्मा कवच ख़राब नहीं हुआ और ये एक बड़ी राहत की बात थी. कैनेडी स्पेस सेंटर पर इसकी वापसी इसी महीने 28 तारीख़ को होगी. और ये अंतरिक्ष में क़रीब पचास लाख मील के चक्कर काटेगा. नासा की योजना है कि अगले साल के अंत तक डिस्कवरी की विदाई से पहले इसके नौ दौरे और कराएं जाएं.
रिपोर्ट: एजेंसियां, एसपीजे
एडीटर: एस गौड़