अचानक डॉनल्ड ट्रंप को क्यों भाये चीन और नाटो
१३ अप्रैल २०१७अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के तीन महीने से भी कम समय में डॉनल्ड ट्रंप ने विदेश नीति के कई मुद्दों पर अपने विचार अचानक ही बदल डाले हैं. चाहे बात अमेरिका के रूस और चीन के साथ संबंधों की हो, या नाटो की उपयोगिता के बारे में उनके विचार. ट्रंप ने अपना चुनावी अभियान ही इस वादे के साथ चलाया था कि वे वॉशिंगटन में चली आ रही यथास्थिति को हिला कर रख देंगे और इसी सिलसिले में उन्होंने चीन को मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला "ग्रैंड चैंपियन" और अमेरिका का व्यापार और नौकरियां छीनने वाला बता डाला था. उस समय ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय सैन्य संगठन नाटो के महत्व को भी दरकिनार करते हुए उसे आज के युग में बेकार पड़ चुका संगठन बताया था और रूस के साथ संबंधों में और गर्मी लाने की उम्मीद जतायी थी.
सिर्फ तीन महीने के बाद यह हाल है कि बुधवार को व्हाइट हाउस की प्रेस कॉन्फ्रेंस और एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने इन सभी विषयों पर पहले के बिल्कुल उलट विचार रखे. ट्रंप ने कहा कि रूस के साथ उनके रिश्तों में खटास आ रही है और चीन के साथ संबंध बेहतर हो रहे हैं. इसके साथ ही नाटो की भी खूब प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि नाटो बदलते हुए वैश्विक खतरों के हिसाब के खुद को बदल रहा है. नाटो के महासचिव येन्स श्टॉल्टेनबर्ग के साथ मुलाकात के बाद एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, "मैंने कहा था कि यह (नाटो) पुराना पड़ चुका है. अब ये पुराना नहीं रहा."
रूस और नाटो पर राष्ट्रपति ट्रंप का यू टर्न यूरोप में अमेरिका के पुराने सहयोगियों के लिए राहत की बात है. लेकिन चीन को लेकर उनका नजदीकी रवैया एशिया में असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है. अमेरिका के कई एशियाई सहयोगी क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से डरे हुए हैं. ट्रंप के खुद के प्रशासनिक दायरे में अंतर्कलह को उनके अमेरिका की परंपरागत विदेश नीति की ओर झुकाव का कारण माना जा रहा है. हाल ही में उन्होंने अपने मुख्य रणनीतिकार स्टीव बैनन को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से बाहर कर दिया.
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को मिल रही रूसी मदद पर ट्रंप ने कहा, "रूस के साथ हमारे संबंधों का सबसे बुरा समय चल रहा है." अमेरिका ने एक हफ्ते पहले ही सीरियाई हवाई क्षेत्र में अमेरिकी क्रूज मिसाइलें बरसायीं थीं, जिसका मकसद सीरिया के गृहयुद्ध में जहरीली गैसों के इस्तेमाल के लिए असद को सबक सिखाना था.
चीनी राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा से पहले शी जिनपिंग से मुलाकात के "बेहद कठिन" होने का अंदेशा जताने वाले ट्रंप ने बाद में बहुत ही गर्मजोशी से मुलाकात की. फ्लोरिडा के रिजॉर्ट में खाने की मेज पर दोनों नेताओं ने अपने परिवारों के साथ खाना खाया और हल्के फुल्के माहौल में बात की. उसके बाद वॉल स्ट्रीट पर बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि वे अब चीन को मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला नहीं कह सकते, जैसा कि उन्होंने अपना पद संभालने के तुरंत बाद कहा था.
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अपने चुनाव अभियान के दौरान अमेरिका को फिर से सुरक्षित बनाने और अमेरिकी सेना को मजबूत करने के नारे देने वाले ट्रंप की विदेश नीति बीते तीन महीनों में चुनाव अभियान टीम के प्रभाव से बाहर निकल गई हैं. उनका मानना है कि ट्रंप अब अपने रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस, विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एचआर मैकमास्टर से ज्यादा प्रभावित लगते हैं, और ये सभी रूस को लेकर थोड़े संशयवादी हैं. ट्रंप के पूर्व सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन को रूसी राजदूत के साथ अपनी मुलाकातें छुपाने के आरोप में बीते 13 फरवरी को इस्तीफा देना पड़ा था.
आरपी/एमजे (एपी,एएफपी)