अधखुली औरतों की दिल्ली में रैली
८ जून २०११राजधानी दिल्ली में अधखुली पोशाक में महिलाएं यौन हिंसा के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाली हैं. यह खास प्रदर्शन इस महीने के आखिर में होगा. दुनिया भर में यौन हिंसा के खिलाफ इस तरह का मार्च होता आया है. राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो रही है.
महिलाओं के लिए खतरनाक दिल्ली!
दिल्ली में महिलाओं के साथ छेड़खानी रोजना की बात बनती जा रही है. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में हर 18 घंटे में एक महिला के साथ बलात्कार होता है तो वहीं हर 14वें घंटे में एक महिला के साथ यौन दुर्व्यवहार की घटना घटती है.
पिछले साल सरकार और संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वे में कहा गया है कि 85 फीसदी महिलाएं हमेशा यौन उत्पीड़न को लेकर खौफ में रहती है. दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा और इस खास मार्च का आयोजन करने वाली उमंग सबरवाल अपने फेसबुक पेज पर लिखती हैं, "इस तरह के मार्च का उद्देश्य समाज का ध्यान उस तरफ खींचना है कि हमारे साथ क्या हो रहा है, न कि हम क्या कर रहे हैं." ऐसे मार्च का आयोजन पहली बार कनाडा के टोरंटो शहर में हुआ. असल में एक पुलिस वाले ने यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए कह दिया था कि महिलाओं को सेक्स वर्करों की तरह कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इस बयान के बाद बवाल खड़ा हो गया.
विरोध का यह भी तरीका
देखते ही देखते 60 शहरों में इसका विरोध हुआ और महिलाओं ने छोटे से छोटे कपड़े में मार्च निकाला. सबरवाल कहती हैं, "इस तरह की सोच की शुरुआत पश्चिमी देशों में हुई लेकिन इसका संबंध दिल्ली जैसे शहर से काफी है. बलात्कार के लिए हमेशा महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया जाता है, पूछा जाता है कि वह अकेले क्या कर रही थी, वह स्कर्ट क्यों पहनी हुई थी, उसके साथ कोई पुरुष क्यों नहीं था और वह अकेले क्यों गाड़ी चलाकर जा रही थी." सबरवाल के मुताबिक महिलाओं के चरित्र और नैतिक मूल्यों पर सवाल उठाए जाते हैं.
छोटे कपड़े में विरोध
भारतीय मीडिया ने अभी से इस मार्च के आयोजन में दिलचस्पी लेना शुरु कर दिया है. सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी इस आयोजन की चर्चा है. एक मल्टीनेशल बैंक में काम करने वाली डिंपी वर्मा इस आयोजन को लेकर काफी उत्साहित हैं. वह अपनी मां के साथ इसमें भाग लेंगी. डिंपी कहती हैं, "मैं अपनी सबसे छोटी स्कर्ट पहनूंगी, मैं मर्दानगी दिखानेवालों से निपट लेना चाहती हूं."
रिपोर्टः एएफपी/आमिर अंसारी
संपादनः ए जमाल