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अनाथ हुआ ढाका का चिड़ियाघर

२४ जुलाई २०१०

बांग्लादेश के सबसे बड़े चिड़ियाघर में मातम का माहौल है. चिड़ियाघर की सबसे प्यारी हथनी की मौत के बाद तीन दिन के शोक का एलान किया गया. 100 साल की पबंत्रा की मौत ने चिड़ियाघर के कई कर्मचारियों को व्याकुल कर दिया है.

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बस बाकी रही यादेंतस्वीर: AP

पबंत्रा हथनी की मौत के बाद ढाका चिड़ियाघर के अधिकारियों ने एक बयान जारी कर कहा, ''हमने अपना सबसे स्वामी भक्त सेवक खो दिया है.'' पबंत्रा की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई. चिड़ियाघर कर्मचारियों के मुताबिक पबंत्रा अचानक धड़ाम से गिरी और देखते ही देखते उसने दम तोड़ दिया.

ढाका का चिड़ियाघर 1957 में बनाया गया. तब से ही पबंत्रा वहां थी. उसकी मौत के बाद चिड़ियाघर के लोग आंसुओं में डूब गए हैं. चिड़ियाघर प्रमुख एएचएम सलाहुद्दीन ने कहा, ''पबंत्रा की देख रेख करने वाले सभी लोग बच्चों की तरह रो रहे हैं. चिड़ियाघर से रिटायर हो चुके लोग भी उसे आखिरी विदाई देने ढाका पहुंचे हैं.''

अंतिम संस्कार के वक्त बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे और आम लोग चिड़ियाघर पहुंचे. सलाहुद्दीन के मुताबिक, ''उसे दफनाते वक्त लोग हाथ में मोमबत्तियां और अगरबत्तियां लेकर आए. हम मस्जिद में पबंत्रा के लिए विशेष दुआ भी करेंगे.'' शोक में डूबे अधिकारियों ने चिड़ियाघर को तीन दिन के लिए बंद कर दिया है.

पबंत्रा बंगाल क्षेत्र की सबसे उम्रदराज हथनियों में से एक थी. अधिकारियों के मुताबिक एशियाई हाथियों की औसत उम्र 60 से 90 साल होती है. लेकिन पबंत्रा इस उम्र को भी पार कर चिड़ियाघर की शान बनी रही. सलाहुद्दीन कहते हैं, ''पबंत्रा पूरे सम्मान की हकदार है और यह सम्मान उसे दिया जाएगा. उसे हमेशा याद किया जाएगा.''

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार