अन्ना की राह पर इमरान खान
३१ अक्टूबर २०११लाहौर के मीनार ए पाकिस्तान मैदान पर एक लाख से अधिक लोगों का इकट्ठा होना राजनीतिक माहौल के प्रति लोगों की निराशा दिखाता है, जिसमें भ्रष्ट राजनीतिज्ञ और उनके ही जैसे सैनिक तानाशाह सत्ता आपस में बांटते हैं. रैली में मजदूरों और टैक्सी ड्राइवरों जैसे आम लोग भी थे, और जींस टीशर्ट पहने अपेक्षाकृत समृद्ध लोग भी.
राजनीतिक आउटसाइडर की अपनी छवि को बरकरार रखते हुए पूर्व क्रिकेट और तहरीक ए पाकिस्तान के प्रमुख इमरान खान ने भ्रष्टाचार में शामिल राजनीतिज्ञों और सैनिक शासकों के लिए अधिक जवाबदेही की मांग की. पाकिस्तान में भी लोग अपनी आर्थिक दुर्दशा के लिए भ्रष्टाचार को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. लाहौर में हुई रैली में इमरान खान ने सत्ताधारी पीपल्स पार्टी और विपक्षी मुस्लिम लीग-नवाज के नेताओं से अपनी संपत्ति की घोषणा करने की मांग की और चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने पर उन्हें नागरिक अवज्ञा आंदोलन का सामना करना होगा.
इमरान खान पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य के लिए नया चेहरा नहीं हैं. वे 1997 में जस्टिस मूवमेंट पार्टी बनाने के बाद से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और चुनाव लड़ते रहे हैं. 1992 में उन्हीं की कप्तानी में पाकिस्तान ने एक मात्र बार 1992 में क्रिकेट विश्वकप जीता है और वह जीत अभी भी आतंकवाद के साये में जी रहे पाकिस्तानियों के मन में गर्व की दुर्लभ भावना लाती है. लेकिन इमरान खान को अपनी शुरुआती जीवनशैली की बदनामी को ढकने के लिए डेढ़ दशक तक इंतजार करना पड़ा है.
इमरान अब बदलाव की बयार बहाना चाहते हैं. लाहौर की रैली में आई 22 वर्षीया छात्र माहा अली कहती हैं, हमने सबकुछ आजमा लिया है, "चाहे वे जरदारी हों, या नवाज शरीफ. वे सब एक जैसे हैं. उन्होंने हमें महंगाई, बिजली-गैस की लोडशेडिंग और बेरोजगारी के सिवा कुछ नहीं दिया है." उनका कहना है कि लोग आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि वे बच्चों का लालन पालन करने की हालत में नहीं हैं.
सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में पाकिस्तान 2010 में 34वें नंबर पर चला गया है जबकि वह 2009 में 42वें नंबर पर था. स्वतंत्र रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख शाहिद हसन सिद्दिकी के अनुसार पाकिस्तान को हर साल भ्रष्टाचार की वजह से 14 अरब डॉलर और टैक्स चोरी में और कई अरब डॉलर का नुकसान होता है. इसके अलावा लोग अमेरिका के साथ आतंकवाद विरोधी संघर्ष में हिस्सेदारी पर भी नाराज हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान को सैनिक कार्रवाई और आतंकी हमलों में 64 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
पाकिस्तान में व्याप्त अमेरिका विरोधी भावना को भुनाते हुए इमरान खान ने कहा है, "अमेरिका को मेरा संदेश है कि हम आपके साथ दोस्ती करेंगे लेकिन आपकी गुलामी कबूल नहीं करेंगे. हम अफगानिस्तान से आपके सैनिकों की सम्मानजनक वापसी में मदद करेंगे, लेकिन हम पाकिस्तान में आपके लिए सैनिक कार्रवाई नहीं करेंगे."
लाहौर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्री रसूल बख्श रईस कहते हैं, "इमरान खान पाकिस्तान में असली राजनीतिक परिवर्तन की मांग का प्रतिनिधित्व करते हैं और लोग उनकी ओर मुक्तिदाता की तरह देखने लगे हैं." सवाल यह है कि क्या इमरान लोगों की गुहार को परिवर्तन के औजार के रूप में बदल पाएंगे.
रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा
संपादन: ओ सिंह