अपनी कमियों को दूर करने में सफल रहा: द्रविड़
२३ नवम्बर २०१०तीसरे दिन के खेल में द्रविड़ छाए रहे और मैच के बाद उन्होंने बताया, "ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरिज में बाएं हाथ के गेंदबाजों को खेलने में मुझे मुश्किलें पेश आईं. इसके बाद मैंने क्रिकेट एकेडमी का रुख किया और कोच के साथ अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास किया. मैंने इस बारे में गैरी कर्स्टन से भी बात की. मैंने सीधे बल्ले से खेलने की कोशिश की जिसमें मैं काफी हद तक सफल भी हुआ."
न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज से पहले द्रविड़ की बल्लेबाजी और उनकी फॉर्म को लेकर काफी आलोचना हो रही थी लेकिन वह मानते हैं कि अब उन दिनों के बारे में बात करने से कोई फायदा नहीं है. "अगर आप रन नहीं बना पा रहे हैं तो फिर आपसे सवाल तो पूछे जाएंगे ही. अंतर सिर्फ इतना है कि 23-24 साल की उम्र में लोग कुछ और सवाल खड़े करते हैं और 37-38 साल की उम्र में कुछ और पूछा जाता है. क्रिकेट जगत का यह हिस्सा है और हमें इस तरह की बातों को स्वीकार कर लेना चाहिए."
द्रविड़ के मुताबिक उन्हें आलोचकों के सवालों ने कभी परेशान नहीं किया. वह सिर्फ भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक मजबूती पर जोर देते हैं और हर मैच में 100 फीसदी देने की कोशिश करते हैं. उनके हाथ में यही होता है. जब द्रविड़ से पूछा गया तो इस उम्र में इतनी देर तक बल्लेबाजी करना कितना मुश्किल होता है तो उन्होंने कहा कि उम्र चाहे कितनी भी हो, लंबी पारी खेलना हमेशा मुश्किल होता है. मानसिक और शारीरिक रुप से बल्लेबाज थक जाता है.
नागपुर टेस्ट में भारत फिलहाल मजूबत स्थिति में नजर आ रहा है और द्रविड़ इसका श्रेय भारतीय गेंदबाजों को देना चाहते हैं जिनके चलते कीवी पहली पारी में सिर्फ 193 रन पर ही सिमट गए.
"इस श्रृंखला में न्यूजीलैंड ने बढ़िया बल्लेबाजी की है. हम 450 से ज्यादा रन तो आम तौर पर बनाते ही रहे हैं लेकिन गेंदबाजों की वजह से हमें बढ़त मिल पाई. मंगलवार को खेल का पहला सत्र अहम रहेगा. अगर हमें जल्दी विकेट मिल गए तो यह बहुत अच्छा होगा. पिच सपाट नजर आ रही है और गेंद ज्यादा घूम नहीं रही है. बल्लेबाजी करने के लिए पिच अच्छी है. जब गेंद पुरानी हो जाएगी तो बल्लेबाजों के लिए विकेट पर टिक कर खेलना आसान हो जाएगा."
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा