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अपने बेरहम चेहरे से चीनी शर्मिंदा

१९ अक्टूबर २०११

चीन में दो साल की एक बच्ची को दो कारों ने कुचला. हादसे के बाद कई लोग वहां से गुजरे लेकिन किसी ने तड़पती बच्ची की बिल्कुल भी मदद नहीं की. अब पूरे चीन में इस हादसे पर जोरदार बहस हो रही है. लोग खुद को जानवर बता रहे हैं.

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खत्म होती इंसानियततस्वीर: AP

चीन की सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर हजारों लोगों ने हादसे का वीडियो डाला है. नीचे लिखा है, "क्या हम खुद को इंसान कह सकते हैं" "हमें अपनी आत्मा को खोजने की जरूरत है." हर कोई यह सवाल उठा रहा है कि आखिर क्यों सड़क पर तड़पती बच्ची को किसी ने उठा कर अस्पताल ले जाने की कोशिश नहीं की.

वीडियो में पूरा वाकया साफ दिखाई पड़ रहा है. दो साल की बच्ची को सबसे पहले बेहद धीमी रफ्तार में चल रही एक वैन के कुचला. वैन वाले को एहसास हो गया कि बच्ची दब गई है. उसने कुछ पलों के लिए गाड़ी रोकी लेकिन बिना बच्ची की सुध लिए उसने फिर गाड़ी आगे बढ़ाई और बच्ची को पिछले पहिए से कुचलता हुआ आगे बढ़ गया. फिर एक नौजवान आया. वह घायल बच्ची के बेहद करीब से गुजरा लेकिन मासूम को अनदेखा कर चलता बना. कुछ और लोग भी ऐसा ही करते हुए गुजर गए. कुछ देर बाद एक और गाड़ी आई, उसके ड्राइवर ने बच्ची को देखा लेकिन फिर भी पिछला पहिया उस पर चढ़ता चला गया.

बुरी तरह जख्मी दो साल की बच्ची काफी देर सड़क पर पस्त पड़ी रही लेकिन उसके आस पास कोई नहीं फटका. इस दौरान वहां से 17 लोग गुजरे. काफी देर बाद कूड़ा बीनने वाली और सड़कों की सफाई करने वाली एक महिला कर्मचारी वहां पहुंची. उसने बच्ची को उठाया और उसकी मां को खोजकर बच्ची को परिवार के हवाले कर दिया.

बच्ची फिलहाल आईसीयू में है. वह कोमा में है. सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पल पल उसके स्वास्थ्य की जानकारी दी जा रही है. बच्ची की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है.

Früherer Arzt ersticht acht Kinder in chinesischer Schule
तस्वीर: picture alliance/dpa#

वीडियो ने पूरे देश में लोगों को झकझोर दिया है. कड़े नियंत्रण के बावजूद स्थानीय मीडिया खुलकर सवाल पूछ रहा है, "इस मामले ने हमारी नैतिकता की धज्जियां उड़ा दी हैं. हमारी आत्मा कहां थी." टेलीविजन चैनल की वेबसाइट पर यह रिपोर्ट 20 लाख लोगों ने देखी और मायूसी और गुस्से से भरी प्रतिक्रियाएं दी.

पुलिस ने दूसरी वैन के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है. पहले ड्राइवर की पहचान नहीं हो सकी है. न्यूज बेवसाइट्स और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए लोग दोनों ड्राइवरों और हादसे के वक्त वहां से गुजरे राहगीरों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं.

ठीकरा सरकार के सिर फूट रहा है. लोगों का आरोप है कि कानून बचाने वालों को ही रगड़ देता है. कई बार बचाने की कोशिश करने वाले लोग कानूनी पचड़ों में फंस जाते हैं. वहां से गुजरे एक युवक ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि, "मुझे लगा कि अगर मैने कुछ किया तो मैं मुश्किल में फंस जाऊंगा." युवक के इस बयान के बाद लोगों की नाराजगी नियमों और प्रशासन की ओर भी मुड़ रही है.

रिपोर्ट: एपी/ओ सिंह

संपादन: महेश झा