अपने राजकुमारों का अपहरण कराता है सऊदी अरब?
१७ अक्टूबर २०१८खालेद बिन फरहान अल सऊद सऊदी अरब के राजघराने से नाता रखते हैं. वैसे तो वह अपने नाम के आगे "प्रिंस" लगाते हैं लेकिन उनका जीवन राजकुमारों जैसा नहीं है. 2004 से वह जर्मनी में रह रहे हैं. उन्हें सऊदी अरब से भाग कर यहां आना पड़ा. 41 वर्षीय अल सऊद बताते हैं कि आज भी सऊदी सरकार उन्हें किसी तरह वापस लाने की कोशिश में लगी है. उनका कहना है कि जमाल खशोगी की ही तरह, उनके लिए भी जाल बिछाया गया था.
वह बताते हैं कि सितंबर में मिस्र की राजधानी काहिरा के एक बड़े होटल में एक गुप्त मीटिंग रखी गई थी. सऊदी दूतावास के कुछ कर्मचारी लाखों डॉलर का चेक लिए वहां पहुंचे. उन्होंने अल सऊद के एक रिश्तेदार को मुलाकात के लिए बुलाया था, "उन्होंने मेरे रिश्तेदार से कहा कि वे मेरी मदद करना चाहते हैं क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं बचे हैं. उन्होंने कहा कि मुझे सिर्फ इतना करना है कि काहिरा स्थित सऊदी दूतावास में आ कर वह चेक ले जाना है. लेकिन मैं जानता था कि यह एक जाल है."
इस घटना के लगभग दो हफ्ते बाद अल सऊद को जमाल खशोगी की गुमशुदगी के बारे में पता चला. दरअसल खशोगी सऊदी अरब के पत्रकार हैं, जो कुछ समय से अमेरिका में रह रहे थे. उन्हें सऊदी सरकार के कड़े आलोचकों में गिना जाता रहा है. आखिरी बार उन्हें दो अक्टूबर को इस्तांबुल के सऊदी कंसुलेट में जाते हुए देखा गया था. वे अपनी शादी से जुड़े कुछ दस्तावेज लेने वहां गए थे. तुर्की का कहना है कि वहीं उनकी हत्या कर दी गई और इस काम के लिए सऊदी अरब से एक पूरे स्क्वॉड को वहां भेजा गया था. सऊदी अरब अब तक इससे इनकार कर रहा है और खशोगी की मौत की पुष्टि भी नहीं हो सकी है.
अल सऊद को यकीन है कि अगर वह काहिरा गए होते, तो उनका भी यही हश्र हुआ होता, "वह मुझे मारने के लिए कोई अमानवीय तरीका अपनाते ताकि दूसरों को भी डरा सकें." अल सऊद के पास जर्मनी की नागरिकता है और वे ड्यूसलडॉर्फ शहर में रहते हैं. स्थानीय खुफिया सेवा के अधिकारी लगातार उनसे संपर्क में रहते हैं और ड्यूसलडॉर्फ पुलिस भी उनके मामले से अवगत है. समचार एजेंसी डीपीए के अनुसार पिछले साल सऊदी अरब ने जर्मनी से इस बारे में भी जानने की कोशिश की कि किस तरह से अल सऊद को वापस सऊदी भेजा जा सकता है लेकिन जर्मनी ने इसका जवाब देने की जरूरत नहीं समझी.
सऊदी अरब देश से बाहर रह रहे अपने राजकुमारों पर लगातार नजर रखता है. इससे पहले ऐसे कम से कम तीन मामले सामने आ चुके हैं, जब सऊदी राजकुमार रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए. जनवरी 2016 में पेरिस में रहने वाले राजकुमार सुल्तान बिन तुर्की ने अपने पिता से मिलने की इच्छा व्यक्त की, जो काहिरा में थे. इसके लिए सऊदी कंसुलेट की ओर से एक प्राइवेट जेट भेजा गया जिसने उड़ान भरने के बाद काहिरा की जगह रियाद का रुख कर लिया.
इसके अलावा दो अन्य राजकुमार तुर्की बिन बंदार और सऊद बिन सैफ अल नस्र भी यूरोप में गायब हो चुके हैं. इन सभी मामलों में अपहरण की ही बात कही जा रही है. जानकारों का कहना है कि 2015 में जब से राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान ने देश की कमान संभाली है, तब से इस तरह के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.
अल सऊद को भी अपनी सुरक्षा की चिंता है. वह बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में वह कम से कम दस बार सऊदी राजदूत से मिल चुके हैं. हर बार वह बर्लिन के किसी कैफे को ही मुलाकात के लिए चुनते हैं ताकि महफूज रह सकें. अल सऊद के अनुसार सऊदी राजदूत ने कई बार उन्हें देश वापस ले जाने और वहां जा कर राजा के साथ मामले सुलझाने का प्रस्ताव दिया लेकिन हर बार उन्होंने उसे ठुकरा दिया, "अगर मैं चला गया होता, तो आज मैं आपसे बात नहीं कर रहा होता."
उनका कहना है कि जर्मनी में वह सुरक्षित तो महसूस करते हैं लेकिन यह भी जानते हैं कि सऊदी सरकार रुकने वाली नहीं है. ऐसे में उनके लिए एकमात्र विकल्प है सतर्क रहना और लगातार अपने वकील के संपर्क में रहना.
आईबी/एके (डीपीए)