अफगानिस्तान के मोस्ट वॉन्टेड
३० सितम्बर २०११इस अक्टूबर में तालिबान के लड़ाके अफगानिस्तान में विदेश सेनाओं से जूझते हुए दूसरे दशक में प्रवेश कर रहे हैं. करीब तीन लाख अफगान सैनिकों और 1,30,000 विदेशी सैनिकों के बावजूद तालिबान को खत्म नहीं किया जा सका है. तालिबान के कुछ कमांडर जरूर मारे गए हैं लेकिन तालिबान की मुहिम व्यापक रूप से जारी है. तालिबान के कुछ टॉप कमांडर और नेता अब भी अमेरिकी गठबंधन सेना की पकड़ से दूर हैं.
मुल्लाह उमर: 51 वर्षीय एक आंख वाला मुल्लाह उमर तालिबान का सर्वोच्च नेता है, जो अब तक पकड़ में नहीं आया है. मुल्लाह उमर की सिर्फ एक ही तस्वीर मीडिया के पास है. ऐसा माना जाता है कि वह क्वेटा शूरा के निर्देशों से तालिबान के आंदोलन को चला रहा है. तालिबान की नेतृत्व परिषद पाकिस्तान के क्वेटा से चलती है.
मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर: 43 साल का मुल्लाह बरादर तालिबान आंदोलन में दूसरे नंबर का नेता है. मुल्लाह बरादर तालिबान की तमाम गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है. 2010 के शुरुआत में इसे पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार किया था. फिलहाल मुल्लाह बरादर के ठिकाने की जानकारी नहीं है.
जलालुद्दीन हक्कानी: 61 साल का जलालुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है. पूर्व में इसने सोवियत के कब्जे के खिलाफ अमेरिका के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी थी. हक्कानी नेटवर्क का संबंध अल कायदा से है. तालिबान की छतरी के नीचे आने वाला यह नेटवर्क बहुत खौफनाक माना जाता है. यह नेटवर्क ज्यादातर पूर्वी अफगानिस्तान में काम करता है.
सिराजुद्दीन हक्कानी: 30 साल का सिराजुद्दीन जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है. ऐसा समझा जाता है कि वह हक्कानी नेटवर्क की गतिविधियों को उत्तरी वजीरिस्तान से चला रहा है. काबुल पर सबसे खतरनाक और जानलेवा हमले के लिए इस नेटवर्क को जिम्मेदार माना जाता है. हाल ही में अमेरिकी दूतावास की 21 घंटे की घेरेबंदी और नाटो दफ्तरों पर हमले का आरोप भी इस नेटवर्क पर है.
गुलबुद्दीन हिकमतयार: गुलबुद्दीन कभी अमेरिका का करीबी सहयोगी हुआ करता था. 64 साल का गुलबुद्दीन हिज्ब-ए-इस्लामी का प्रमुख है. यह उदारवादी गुट है जो तालिबान के अंतर्गत आता है. इस गुट की एक राजनीतिक शाखा भी है जिसके सदस्य वर्तमान प्रशासन में शामिल हैं. यह गुट अफगान सैनिकों पर हमला नहीं करता है लेकिन गठबंध सेना के जवान इसके निशाने पर होते हैं.
अख्तर मोहम्मद मंसूर: 51 साल के मंसूर को मुल्लाह बरादर का वारिस माना जाता है. 2010 में एक शख्स ने अपने आपको अख्तर मोहम्मद मंसूर बताकर नाटो के अधिकारियों से बातचीत की थी और प्रलोभन के हजारों डॉलर समेत गायब हो गया.
मुल्लाह अब्दुल रउफ खादिम: एक पैर वाला खादिम ग्वांतोनामो बे जेल का कैदी रह चुका है. 30 साल के खादिम को मुल्लाह उमर का नंबर दो माना जाता है. खादिम सैन्य मामलों की देखरेख करता है.
अब्दुल कय्यूम जाकिर: यह भी ग्वांतानामो बे का पूर्व कैदी है. 38 साल के जाकिर के जिम्मे दक्षिण और पश्चिमी अफगानिस्तान है. वह तालिबान के शीर्ष सैन्य कमांडरों में से एक है.
अब्दुल हफीज मजीद: मजीद खुफिया एजेंसी का प्रमुख रह चुका है. उसकी उम्र का पता नहीं है. कहा जाता है कि वह पाकिस्तान के क्वेटा में सैन्य परिषद का नेता है.
रिपोर्ट: डीपीए / आमिर अंसारी
संपादन: ए कुमार