अफगानिस्तान में नई सरकार
२९ सितम्बर २०१४सोमवार को विदेशी मेहमानों की उपस्थिति में काबुल के राष्ट्रपति भवन में शपथ समारोह का आयोजन हुआ. 2001 में अमेरिकी हमले के कुछ समय बाद से सत्तारूढ़ राष्ट्रपति हामिद करजई ने हाल में चुनावों में निर्वाचित नेताओं को सत्ता सौंपी. सत्ता का परिवर्तन ऐसे समय में हुआ है जब कुछ ही महीनों में अफगानिस्तान से नाटो की सेनाओं की वापसी होनी है.
अशरफ गनी को देश के मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. उसके बाद गनी ने अब्दुल्लाह का परिचय अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कराया. यह पद प्रधानमंत्री पद के बराबर होगा. निवर्तमान राष्ट्रपति करजई ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले अपने भाषण में कहा, "मेरा सफर मुश्किल रहा है. मेरी राह में बहुत सारी बाधाएं थीं, बहुत सारी मुश्किलें थीं. लेकिन मैं आज नए राष्ट्रपति के लिए अनुभव और संस्था छोड़कर जा रहा हूं."
नए राष्ट्रपति का पद संभालना अफगानिस्तान में नाटो की टुकड़ियों की वापसी के बाद भी अंतरराष्ट्रीय टुकड़ियों के उपस्थिति बनाए रखने के लिए जरूरी था. बाकी सैनिकों की तैनाती के लिए अफगानिस्तान सरकार के साथ हुई संधि पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर जरूरी हैं ताकि विदेशी सैनिकों को अफगानिस्तान में मुकदमा न चलाए जाने की गारंटी मिल सके. राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा था कि संधि पर दस्तखत उनके उत्तराधिकारी करेंगे.
गनी और अब्दुल्लाह के शपथ ग्रहण के साथ अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनावों के बाद तीन महीने से चला आ रहा राजनीतिक संकट समाप्त हो गया है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की मध्यस्थता से राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवारों ने सत्ता का बंटवारा करना मान लिया. करजई ने कहा, "भाईयों और बहनों, आपने वोट किया और चुनाव के बाद इंतजार किया. आपने साबित किया है कि आपमें देश के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता है."
शपथ ग्रहण समारोह से पहले हिंसा की खबर है. काबुल हवाई अड्डे के निकट एक बम धमाका हुआ जिसमें कई लोग मारे गए. धमाका एक आत्मघाती हमलावर ने किया. औपचारिक रूप से धमाके में मरने वालों की तादाद की कोई घोषणा नहीं की गई है.
एमजे/आईबी (एपी, एएफपी, डीपीए)