अफगानिस्तान से वापसी पर मुहर लगी
२१ नवम्बर २०१०शनिवार को लिस्बन बैठक में हुए समझौते के मुताबिक 2011 से अफगानिस्तान में जारी कार्रवाई की कमान राष्ट्रपति हामिद करजई के हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. 2014 तक अफगानिस्तान से नाटो सेनाओं की पूरी तरह वापसी का लक्ष्य रखा गया है.
हालांकि नाटो सहयोगी अफगानिस्तान में युद्धक अभियान खत्म करने के लिए एक तारीख तय करने पर सहमत हुए, लेकिन अमेरिका ने सावधान किया कि कुछ ताकतवर गुट बाकी रह सकते हैं इसलिए 2014 के बाद भी वहां कुछ सैनिकों को तैनात रखा जा सकता है. लेकिन अफगानिस्तान में अमेरिका के बाद नाटो के लिए सबसे ज्यादा सैनिक मुहैया कराने वाले ब्रिटेन ने अपने लड़ाकू बलों को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के लिए 2015 तक की "सख्त समयसीमा" रखी है. वहीं स्पेन का कहना है कि वह 2102 तक अफगानिस्तान से वापसी चाहता है.
नाटो के महासचिव अंदर्स फोग रासमुसेन ने नाटो देशों से अपील की कि वे युद्धक अभियान खत्म होने के बाद भी काबुल सरकार का समर्थन करते रहें. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि कुछ अमेरिकी बल थोड़े और समय तक अफगानिस्तान में रह सकते हैं. उनके मुताबिक, "लेकिन मेरा लक्ष्य है कि 2014 तक अफगान लोगों को नेतृत्व सौंप दें. इस लक्ष्य का मकसद यह सुनिश्चित करना भी है कि हम उस तरह के युद्धक अभियानों में शामिल नहीं होंगे, जिनमें अभी हैं."
नाटो कमांडर चाहते हैं कि सदस्य देश अफगानी सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या दो लाख 56 हजार से बढ़ाकर तीन लाख छह हजार करने के लिए और अधिक राशि और प्रशिक्षक भेजें. पिछले दिनों राष्ट्रपति हामिद करजई ने उस वक्त पश्चिमी देशों को हैरान कर दिया जब उन्होंने अमेरिका से अपनी कार्रवाई कम करने को कहा. लिस्बन बैठक के बाद उन्होंने कहा कि इस बारे में मतभेद दूर कर लिए गए हैं.
उधर नाटो के नेताओं की रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव के साथ अलग से शिखर बैठक हुई जिसमें अफगानिस्तान और यूरोप में मिसाइल रक्षा कवच प्रणाली पर सहयोग के लिए दो अहम समझौते हुए. दो साल में यह इस तरह की पहली बैठक थी.
रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने कहा कि रूस यूरोप के लिए साझा रक्षा प्रणाली बनाने के लिए नाटो के साथ सहयोग करेगा. रूस अब तक इस प्रणाली को अपने लिए खतरा मानता रहा है. वहीं नाटो का कहना है कि इसका मकसद उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों की तरफ से भविष्य में होने वाले संभावित मिसाइल हमलों से यूरोप की रक्षा करना है. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूरोपीय मिसाइल कवच प्रणाली में रूस शामिल हो रहा है तो उसके साथ बराबरी के साझीदार के तौर पर व्यवहार किया जाना चाहिए.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः प्रिया एसेलबोर्न