अफगान मीडिया पर पाक ईरान का असर
२४ अप्रैल २०१२अफगानिस्तान में 170 गैर सरकारी रेडियो स्टेशन, 60 टीवी चैनल और 100 अखबार और पत्रिकाएं चल रही हैं. उनमें से बहुत थोड़ी हैं जो अपने पैसे से चल सकती हैं, इसलिए ज्यादातार विदेशों से मदद लेते है, यह बात हाल में राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय, एनडीएस की रिपोर्ट में सामने आई है.
चैनलों पर निशाना
एनडीएस के प्रवक्ता लुतफल्लाह मशाल ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के एक हिस्से की आलोचना की. "करीब एक महीने से तामादोन चैनल पर रिपोर्ट प्रसारित की जा रही है जिसमें नाटो और अमेरिकी सैनिकों के कंधार में किए गए अपराधों का कथित सच बयान किया गया है. लेकिन सचाई यह है कि उन्हें ईरानी सूत्रों ने प्रोपेगैंडा के लिए चैनल को दिया गया है."
मशाल ने नूर टीवी, शमशाद, काबुल न्यूज और मशाल टीवी पर अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल देने का आरोप लगाया और कहा कि दैनिक अखबार इंसाफ एक पड़ोसी देश का मुखपत्र है जिसे अधिकांश अफगानी ईरान समझेंगे. इंसाफ हमेशा ईरान सरकार की तारीफ करता है. मशाल ने कुछ मीडिया संगठनों पर सूचनाओं और तथ्यों पर तालिबान समर्थक मुलम्मा चढ़ाने और विदेशी सैनिकों के खिलाफ नफरत भड़काने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि शमशाद अवैध रूप से पाकिस्तानियों को नौकरी पर रख रहा है. "प्रोग्राम डायरेक्टर और वित्तीय प्रमुख पाकिस्तानी हैं, वे विषयों का चुनाव करते हैं. हमारे अधिकारियों को पता नहीं है कि वे कौन हैं, उनके पास वर्क परमिट और वीजा है या नहीं." ईरान या पाकिस्तान का नाम लिए बिना मशाल ने कहा कि अफगानिस्तान के कुछ पड़ोसी काबुल और वाशिंगटन के बीच लम्बे समय के सहयोग के खिलाफ हैं, इसलिए "कुछ दुश्मन" अफगानों को अमेरिका विरोधी बनाने के लिए सब कुछ कर रहे हैं.
आरोपों से इंकार
जिन मीडिया घरानों पर आरोप लगाए गए हैं उन्होंने आलोचना को खारिज किया है. एक प्रवक्ता ने कहा, "तामाडोन टीवी मुस्लिम अफगानों की ही तरह विदेशियों के हितों और अफगानिस्तान के हितों में फर्क करता है." दूसरे चैनलों ने भी सरकार के आरोपों को ठुकरा दिया है. अफगानिस्तान में लोगों को इस पर आश्चर्य नहीं हुआ है कि गैर सरकारी चैनलों ने आरोपों से इंकार किया है बल्किन इस पर आश्चर्य हुआ है कि सरकार ने इतनी साफगोई से आरोप लगाए हैं.
काबुल के संगठन प्रेस वाच के सदिकुल्लाह तौहिदी ने सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है, "अगर वर्तमान स्थिति फौरन नहीं बदलती तो इन चैनलों का इस्तेमाल अफगान जनता को एक दूसरे के खिलाफ भड़काने के लिए हो सकता है जिसका नतीजा गृह युद्ध होगा." इसके बावजूद मीडिया पर्यवेक्षकों को नहीं लगता कि हामिद करजई की सरकार आने वाले समय में चैनलों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी.
रिपोर्टः रतबिल शामेल/मझा
संपादनः एन रंजन