1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अफवाह के आरोपों से पाकिस्तान का इनकार

१९ अगस्त २०१२

भारत में अफवाह फैलाने के आरोपों से पाकिस्तान ने इनकार किया है. उसका कहना है कि यह आरोप बेबुनियाद और गलत हैं. भारतीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में अफवाहों का स्रोत पाकिस्तान को बताया गया है.

https://p.dw.com/p/15seQ
तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है कि भारत में पिछले दिनों फैले अफवाहों की शुरुआत उनके देश से हुई थी. पाकिस्तान सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "हम इस रिपोर्ट में लगाए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. ये आरोप आधारहीन और गलत हैं. इस तरह के बिना सबूतों वाले और गैरजिम्मेदाराना बयान वैसा माहौल नहीं बनने देंगे जैसा हम बनाना चाहते हैं." भारत के गृह सचिव आर के सिंह ने एक दिन पहले यह आरोप लगाया कि भारत में फैली अफवाहों के लिए पाकिस्तान की कुछ तत्व जिम्मेदार हैं.

Indien Unruhen und Gewalt im Assam
तस्वीर: dapd

गृह सचिव आर के सिंह के मुताबिक ऐसे 76 वेबसाइटों की पहचान की गई है जिन्होंने तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर गलत और मनमाने संदेश प्रसारित करने में उनका इस्तेमाल किया. पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने भारतीय गृह मंत्री सुशील शिंदे से टेलिफोन पर बात भी की है. ईद की मुबारकबाद देने के लिए हुए दोनों की बातचीत में कुछ राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई. इस दौरान शिंदे ने कहा कि पाकिस्तान के कुछ तत्व सोशल मीडिया के जरिए कुछ गलत जानकारियां और अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे रोकना होगा. दोनों देशों ने इस मामले में आपसी सहयोग करने पर सहमति जताई है.

भारत के दक्षिण भारतीय शहरों में अचानक बड़ी तेजी से पूर्वोत्तर के लोगों पर हमलों की अफवाहों का बाजार गर्म हुआ और उसकी वजह से बेंगलोर और हैदराबाद में रहने वाले 30 हजार से ज्यादा लोग आनन फानन में अपने घरों को लौट गए. गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि इन अफवाहों को फैलाने के पीछे पाकिस्तान के तत्वों का हाथ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने झूठी तस्वीरों का सहारा लेकर इंटरनेट के जरिए अफवाहें फैलाईं. इस काम में फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब का सहारा लेकर मुस्लिमों को भड़काया गया और इस तरह के हालात बनाए गए कि हमलों के डर से पूर्वोत्तर भारत के लोग घबरा कर अपने घरों की ओर भाग पड़े.

गृह मंत्रालय की यह रिपोर्ट कहती है कि इंटरनेट पर ज्यादातर तस्वीरें और वीडियो संदेश 13 जुलाई की रात से डाले जाने शुरू हुए. इनमें दूसरे जगहों की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, "तस्वीरें तिब्बत के भूकंप और थाईलैंड जैसे हादसों के लिए गए उनमें फेर बदल किया गया और इन्हें हाल ही में बनाए गए फर्जी प्रोफाइल के जरिए इंटरनेट पर फैलाया गया. गृह मंत्रालय ने अलग अलग समुदायों के बीच हिंसा और अशांति फैलाने में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्राथमिक रिपोर्ट तैयार की है. इसमें कहा गया है कि इंटरनेट पर तस्वीरें और वीडियो डालने वालों में कुछ भारतीय भी हैं जिन्होंने म्यांमार और असम की हिंसा को एक साथ जोड़ दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सोशल मीडिया, ईमेल, इंटरनेट चैट रूम और वीओआईपी कॉल्स का सहारा लेकर गलत जानकारियां और अफवाहें फैलाई गईं. इससे असम और देश के दूसरे इलाकों में अशांति फैली. रिपोर्ट में लिखा है, "बहुत कम समय में ही धमकियां और फिर उनके जवाब बहुत दूर दूर तक फैल गए और इसमें डिजिटल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल हुआ. बहुत सारी धमकियां तो खुलेआम दी गईं जबकि कुछ ने इसके लिए चैट रूम और दूसरे उपायों का सहारा लेकर सामूहिक प्रयास किया."

Indien Bangalore Tausende Menschen fliehen
तस्वीर: picture-alliance/dpa

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में लिखा गया है, "ये अज्ञात मुस्लिम चरमपंथी म्यांमार में बौद्ध और मुस्लिमों के बीच हुए फसाद के बाद ऑनलाइन अभियान चला रहे हैं." इन्हीं फर्जी तस्वीरों और संदेशों का इस्तेमाल कर भारत के अलग अलग हिस्सों में रहने वाले मुस्लिम लोगों की भावनाएं भड़काई जा रही हैं. असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा है कि वो इस बात की जांच कराएंगे कि क्या असम में हुई हिंसा में विदेशी ताकतों की कोई भूमिका है.

इस बीच लोगों का पलायन अभी भी रूका नहीं है. रेलवे विभाग ने जानकारी दी है कि पूर्वोत्तर भारत के दो लोगों की बीती रात ट्रेन से फेंक दिए जाने के कारण मौत हो गई है. इसके अलावा पांच लोग घायल भी हुए हैं. बड़ी संख्या में एक साथ लोगों के पलायन की वजह से बेंगलोर और हैदराबाद में अव्यवस्था फैल गई है.

एनआर/एमजे (पीटीआई)