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अफ्रीका में मोटे बच्चों की संख्या तीन गुना बढ़ी

१७ मार्च २०११

अफ्रीकी बच्चों का नाम सुनते ही जहन में कुपोषण के मारे दुबले पतले से बच्चों की तस्वीर उभरती है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि वहां मोटे बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

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तस्वीर: AP

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि पिछले 20 साल में अफ्रीका में पांच साल से कम उम्र के मोटे बच्चों की संख्या तीन गुना बढ़ चुकी है. इसके हिसाब से इस वक्त महाद्वीप में एक करोड़ 35 लाख बच्चे ऐसे हैं जिनका वजन उनकी उम्र और कद के हिसाब से कहीं ज्यादा है.

मां का दूध छूटा

संयुक्त राष्ट्र ने इस रिपोर्ट के हवाले से चेतावनी दी है कि विकासशील देशों में मोटापा बड़ी समस्या बनता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अस्वस्थ खाना, मां के दूध पिलाने में कमी और सुस्त जिंदगी बच्चों के बढ़ते वजन की बड़ी वजह हैं.

Afrikanische Kinder vor Computer
तस्वीर: picture-alliance/dpa

रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका में 1990 में अफ्रीका में पांच साल के कम उम्र के बच्चों में से चार फीसदी मोटे थे लेकिन 2010 में यह संख्या 40 लाख बढ़कर 8.5 फीसदी हो गई है. एशिया में इसी अवधि के दौरान 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. अब वहां 4.9 फीसदी बच्चे मोटे हैं.

सुस्ती बढ़ी, खाना बढ़ा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सेहत और विकास के लिए पोषण के निदेशक फ्रांसेस्को ब्रांका कहते हैं, "बच्चों का वजन जरूरत से ज्यादा इसलिए बढ़ा क्योंकि वे सुस्त हो गए हैं. उनकी शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं और उन्हें जरूरत से कहीं ज्यादा खाना मिलता है." उन्होंने कहा कि बच्चों को बहुत ज्यादा ऊर्जा वाला खाना दिया जाता है जिसमें विटामिन और खनिजों की कमी होती है जबकि वसा और मीठा बहुत ज्यादा होता है.

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तस्वीर: AP

ब्रांका ने मांओं के बच्चों को अपना दूध पिलाने से कतराने की समस्या का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "विकासशील देशों में हमने देखा है कि अब बाजार के बने औद्योगिक खाने को ज्यादा जगह मिल रही है जिसमें वसा और मीठा बहुत ज्यादा होता है."

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जनवरी में दुनियाभर की सरकारों के लिए कुछ सुझाव जारी किए थे जिनमें बच्चों के मोटापे से निपटने की बात की गई थी. इसमें स्कूलों और खेल के मैदानों के आसपास जंक फूड पर प्रतिबंध लगाने की बात भी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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