अब ट्रेनर ने की बोलने की हिम्मत
८ अक्टूबर २०१२बुंडेसलीगा उच्च स्तरीय खेल के अलावा पैसे का भी खेल है, जिसमें सफलता अत्यंत महत्वपूर्ण है. पिछले सालों में सफलता के लिए दबाव बढ़ता गया है और अक्सर कुछ मैचों में हार के बाद ट्रेनर को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. सफल ट्रेनरों समझे जाने वाले भारतीय मूल के रोबिन दत्त को इसी अनुभव से गुजरना पड़ा है. हालत यहां तक पहुंच गई है कि जीत न होने की स्थिति में मैदान में भी ट्रेनर विरोधी नारे लग जाते हैं.
रविवार को ऐसा ही हुआ, जब घरेलू मैदान पर श्टुटगार्ट की टीम से जीत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन टीम बायर लेवरकूजेन के खिलाफ 2-2 के ड्रॉ से ज्यादा कुछ नहीं कर पाई और स्टेडियम में ट्रेनर लबाडिया को बाहर निकालो के नारे लगे. मैच के बाद हुए प्रेस कांफ्रेंस में लबाडिया उबल पड़े, "यह नहीं हो सकता कि यहां ट्रेनर को हमेशा बेवकूफ की तरह पेश किया जाए. ट्रेनर दूसरे लोगों का कूड़ेदान नहीं हैं." गुस्से में आए लबाडिया ने यह भी कह दिया, "मुझे आश्चर्य नहीं है कि यहां हर कुछ महीने पर एक नया ट्रेनर होता है."
अपने पुराने क्लब के साथ ड्रॉ के बाद लबाडिया पर दबाव और बढ़ गया है. हालांकि उनकी टीम यूरोप लीग में नॉर्वे की चैंपियन मोल्डे एफके से हुई 2-0 की हार के बाद बेहतर खेली और शुरू में पिछड़ने के बावजूद मैच को ड्रॉ करने में सफल रही. लेकिन इसके बावजूद इस सीजन में घरेलू मैदान पर जीत की उम्मीद पूरी नहीं हुई. और इस उम्मीद की झलक टीम के समर्थकों और स्थानीय मीडिया के बयानों में भी झलकती है. नियमित रूप से मीडिया में उन पर सवाल उठाए जाते हैं.
सीजन के सात मैचों के बाद लबाडिया ने अपने विरोधियों को जवाब देने का फैसला किया. उन्होंने कहा, "अब हद हो गई है. मैं बाईस महीने पहले यहां आया था. तब तालिका में उसके सिर्फ 22 प्वाइंट थे, टीम को कोई महत्व नहीं देता था, उसके बाद मैंने उसे यूरोप लीग तक पहुंचाया." खासकर 19 वर्षीय ऑस्ट्रियन खिलाड़ी रफाएल होल्सहाउजर को बदले जाने के बाद ब्रूनो बाहर निकलो के नारे ने उन्हें दुखी कर दिया.
लबाडिया के बयान को उनके साथियों का समर्थन मिल रहा है. जर्मनी के स्टार ट्रेनरों में एक वोल्फ्सबुर्ग के ट्रेनर फेलिक्स मगाथ ने कहा है, "सचमुच ट्रेनरों के साथ अनादर के साथ पेश आया जाता है." उन्होंने कहा कि लबाडिया ने जो कहा है, वैसा ही है, "इस कारोबार में यह रच बस गया है कि यदि कुछ गलत होता है तो दोष ट्रेनर पर मढ़ दो." दोनों क्लब सात राउंड के बाद भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं और अभी तक सिर्फ एक मैच में जीते हैं. श्टुटगार्ट तालिका में 15वें नंबर पर है, जबकि वोल्फ्सबुर्ग 17वें नंबर पर है.
एमजे/एनआर (डीपीए)