अमेरिका और पश्चिम पर बरसे पुतिन
८ दिसम्बर २०११रविवार को हुए रूसी संसदीय चुनाव में एक तरफ पुतिन की सत्ताधारी पार्टी को करारा झटका लगा. बहुमत तो किसी तरह मिल गया लेकिन बहुत मुश्किल से. सिर्फ इतना ही नहीं देश विदेश में इन चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए और साथ ही विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी शुरू हो गया. कहा जा रहा है कि सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव में गड़बड़ी की गई.
पुतिन ने पहली बार इन आरोपों पर अपनी जुबान खोली है. पुतिन ने कहा है कि अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने चुनावों की आलोचना करके सत्ता विरोधियों को उकसाया है. पुतिन ने कहा, "उन्होंने कुछ विरोधी कार्यकर्ताओं का मन तैयार किया, उन्हें संकेत दिया, इन लोगों ने संकेतों को समझ लिया और काम में जुट गए." पुतिन ने 2004 में यूक्रेन की ऑरेंज क्रांति और किर्गिस्तान की सरकारों को हटाने की घटना का उदाहरण देकर कहा कि उनमें बहुत खून बहा, पुतिन ने यह भी कहा कि पश्चिमी देश रूस में राजनीतिक परिवर्तन के लिए बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं. रूसी प्रधानमंत्री ने कहा इसे सहन नहीं किया जाएगा, "चुनावी प्रक्रिया में विदेशी पैसे का उपयोग स्वीकार नहीं किया जाएगा. इस काम में करोड़ों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं. हमें अपनी संप्रभुता को बचाने और बाहरी दखल रोकने के लिए तरीके निकालने होंगे." पुतिन ने यह भी कहा कि जो लोग विदेशी मुल्कों की इच्छा पर घरेलू राजनीतिक प्रक्रिया पर असर डालने के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें उनकी जिम्मेदारी बताने के लिए रास्ते तलाशने होंगे.
पुतिन ने एक बार फिर उसी कठोर पश्चिम विरोधी आवाज को बुलंद किया है जो उन्होंने 2008-09 के चुनावों में अपनाई थी. तब उन्होंने कहा था कि पश्चिमी देश रूस को कमजोर कर रहे हैं और 1991 में सोवियत युग का पतन होने के बाद दोबारा उसके उदय को रोका जा रहा है. पुतिन ने सितंबर में अपनी उस योजना को जाहिर किया जिसमें अगले साल राष्ट्रपति मेद्वेदेव से कार्यालय बदलने की बात है. यूनाइटेड रशिया पार्टी से अगले साल राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी मिलने के बाद पुतिन ने चेतावनी दी है कि पश्चिमी देश संसदीय और राष्ट्रपति चुनावों पर असर डालने की कोशिश करेंगे.
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस के चुनावों पर चिंता जाहिर की है. साथ ही शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ दुर्व्यवहार की भी शिकायतें हैं. हिलेरी क्लिंटन ने मंगलवार को कहा कि इन चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता. रूस की जनता ने रविवार को हुए संसदीय चुनावों में पुतिन की पार्टी का जनाधार घटा दिया. निचले सदन ड्यूमा में अब पुतिन पहले की तरह मजबूत नहीं रहे. चार साल पहले हुए चुनावों में उन्हें 64 फीसदी वोट मिला था लेकिन इस बार यह आंकड़ा घट कर 50 फीसदी पर आ गया है. अगले साल 4 मार्च को राष्ट्रपति पद का चुनाव है. ऐसे में यह उनके लिए और बड़ा झटका है. हालांकि अब भी वो देश के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं और मार्च के चुनावों में जीत उनके लिए 2024 तक राष्ट्रपति पद पर काबिज रहने का रास्ता साफ कर देगी.
रिपोर्टः एपी, रॉयटर्स/एन रंजन
संपादनः ए जमाल