अमेरिका कर सकेगा घंटे भर में मिसाइल हमला
२६ अप्रैल २०१०अमेरिकी सैनिक योजनाकार तेज़ गति वाले ऐसे हथियारों की एक नई पीढ़ी के विकास के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा का अनुमोदन हासिल करने में सफल हो गए हैं, जिनसे एक घंटे के अंदर दुनिया में कहीं भी वार किया जा सकेगा. अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रॉम्प्ट ग्लोबल स्ट्राइक, संक्षेप में पी जी एस कहलाने वाले इस अस्त्र कार्यक्रम के ये हथियार अपने लक्ष्य पर इतना सही और सशक्त वार कर सकेंगे कि उससे अमरीका की परमाणु-हथियारों पर निर्भरता बड़े पैमाने पर कम होगी.
हाल ही में अख़बार को दिए गए एक इंटर्व्यू में ओबामा ने इस धारणा की ओर संकेत करते हुए कहा था कि यह, परमाणु हथियारों पर निर्भरता कम करने का प्रयास है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी कि अमरीका की पारंपरिक हथियार क्षमता सभी हालात में एक प्रभावकारी निरोधक का काम कर सके, सबसे अधिक कड़ी परिस्थितियों को छोड़कर.
लेकिन अब भी इस टैक्नॉलजी को लेकर इतनी गहरी चिंताएं मौजूद हैं कि ओबामा सरकार रूस की इस मांग पर राज़ी हो गई है कि ऐसे हर एक पारंपरिक हथियार के एवज़ में एक न्यूक्लियर वारहेड को तैनाती से हटा लिया जाएगा. यह शर्त उस नई स्टार्ट संधि में शामिल की गई है, जिस पर दो सप्ताह पहले प्राग में ओबामा और रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेद्वेदेव ने हस्ताक्षर किए थे.
अनेक विश्लेषक अब भी इस ख़तरे की ओर संकेत कर रहे हैं. एक राजनीतिक समीक्षक के शब्दों में "यह रास्ता एक और नोबैल शांति पुरस्कार की दिशा में तो नहीं ही जाता." लेकिन ओबामा ने शांति पुरस्कार स्वीकार करते समय कहा था कि इतिहास बताता है कि कभी-कभी बल-प्रयोग ज़रूरी हो जाता है.
न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि इस नए अमेरिकी हथियार के द्वारा ऐसे काम अंजाम दिए जा सकेंगे, जैसे किसी गुफ़ा में छिपे ओसामा बिन लादिन को सफल निशाना बनाना, बशर्ते कि सही गुफ़ा का पता लगाया जा सके. या फिर, छोड़े जाने के लिए तैयार किए जा रहे किसी उत्तर कोरियाई मिसल को नष्ट करना. या एक उदाहरण किसी ईरानी परमाणु स्थल पर प्रहार करने का हो सकता है. और ये सभी प्रहार, एक सीमित लक्ष्य पर वार करने के लिए होंगे, बिना परमाणु बम की विनाशक शक्ति के.
यह विचार बिल्कुल नया नहीं है. राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और उनके सहायक इस टैक्नॉलजी को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहे थे. इस उद्देश्य से कि पारंपरिक हथियारों की यह नई पीढ़ी पनडुब्बियों पर परमाणु हथियारों का स्थान ले सकेगी.
रिपोर्ट: गुलशन मधुर, वॉशिगटन
संपादन: ओ सिंह