अमेरिका की हाइपरसोनिक उड़ान
१५ अगस्त २०१२वेवराइडर को अमेरिकी वायुसेना के बी-52 बॉम्बर से छोड़ा गया. विमान से छोड़े जाने के कुछ सेकेंड बाद वेवराइडर का रॉकेट प्रोपेलर सुलगा और फिर वह अत्यंत तेज रफ्तार से उड़ान भरता चला गया. इसने छह मैक की रफ्तार हासिल की. यानी एक मिनट में दो किलोमीटर से भी ज्यादा की दूरी तय की. अमेरिकी वायुसेना ने वेवराइडर का आधिकारिक नाम एक्स-51ए रखा है.
परीक्षण उड़ान प्रशांत महासागर के ऊपर हुई. वेवराइडर को विमान निर्माता कंपनी बोइंग के सहयोग से बनाया गया है. यह छह मैक (7,300 किमी प्रतिघंटा) या उससे भी ज्यादा तेज गति से उड़ान भर सकता है. यानी वेवराइडर न्यूयॉर्क से लंदन एक घंटे से भी कम समय में पहुंच सकता है. न्यूयॉर्क से लंदन की दूरी 5576 किलोमीटर है.
लेकिन फिलहाल वेवराइडर का इस्तेमाल सिर्फ सेना करेगी. अमेरिकी सेना इसे हाई-स्पीड क्रूज मिसाइल की तरह इस्तेमाल करना चाहती है. कैलीफोर्निया के एडवर्ड्स एयर फोर्स बेस के प्रवक्ता जॉन हेयर वेवराइडर के मिजाज के बारे में कहते हैं, "इसे दोबारा पकड़ा नहीं जा सकता. दूसरे शब्दों में कहें तो एक बार आपने इसे उड़ा दिया तो फिर यह सीधा समुद्र में ही गिरेगा."
इस मशीन के नामकरण के पीछे भी विज्ञान छुपा है. यान कंपन तरंगें पैदा करता है. यही तरंगें उसे ऊंचाई पर ले जाती हैं. बहुत छोटी जगह पर किसी धमाके या सुपरसोनिक रफ्तार की वजह से अचानक दबाव, तापमान और घनत्व में भारी बदलाव होता है, इससे कंपन तंरगें पैदा होती हैं.
वेवराइडर का इंजन रॉकेट साइंस कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी रॉकेटडेन ने बनाया है. इंजन को स्क्रैमजेट नाम दिया गया है. इंजन हवा को तेज रफ्तार खींचता है और फिर उसे दबाकर ईंधन दहन चैंबर में डालता है. इससे बहुत ज्यादा ऊर्जा पैदा होती है. बी-52 से छोड़े जाने के बाद ठोस रॉकेट बूस्टर वेवराइडर को शुरूआती गति देते हैं और 30 सेकेंड के भीतर रफ्तार को 4.5 मैक कर देते हैं. इस गति पर स्क्रैमजेट इंजन दहकने लगते हैं.
2004 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 11,200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरने वाला यान बनाया. एक्स-3 नाम का वह यान कुछ ही सेकेंड की उड़ान भर सका था. इंजीनियरों को उम्मीद है कि हाइपरसोनिक वेवराइडर एक्स-51ए ज्यादा लंबी उड़ान भरेगा. तेज रफ्तार और घर्षण से पैदा होने वाली अथाह गर्मी से यान को बचाने के लिए वेवराइडर में अंतरिक्ष यान की तरह इनसुलेशन टाइलें लगाई गई हैं.
हाइपरसोनिक वह श्रेणी है, जहां रफ्तार पांच मैक या उससे ज्यादा हो. यह ट्रांससोनिक, सोनिक और सुपरसोनिक के आगे की श्रेणी है. सोनिक का अर्थ ध्वनि की रफ्तार यानी 1,225 किमी प्रतिघंटा को गति है. इसे एक मैक भी कहा जाता है. अलग अलग ऊंचाई पर ध्वनि की गति में मामूली बदलाव होते हैं.
फिलहाल दुनिया के कई देशों के पास सुपरसोनिक तकनीक है. ऐसे में अमेरिकी सेना अपना दबदबा बनाए रखने के लिए हर तरह के रडार को भेदने में सक्षम हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करना चाहती है. अमेरिका चाहता है कि हाइपरसोनिक तकनीक के जरिए वह अन्य देशों से आगे रहे.
ओएसजे/एमजे (एएफपी, डीपीए)