अमेरिका को नहीं सौंपा जाएगा अधिकारी
१ फ़रवरी २०११अमेरिका ने अपने अधिकारी को छोड़े जाने की मांग की है जिसकी शिनाख्त पाकिस्तान पुलिस ने रेमंड डेविस के रूप में की है. डेविस ने अदालत को बताया कि उसने पिछले सप्ताह लाहौर में उसे लूटने के प्रयास के दौरान आत्मरक्षा में गोली चलाई.
अदालत का फैसला एक वकील की अर्जी पर आया है जिसने लाहौर हाई कोर्ट से अपील की थी कि वह सरकार से कहे कि डेविस को अमेरिका को नहीं सौंपा जाए. हाई कोर्ट ने कहा है कि डेविस को तब तक पाकिस्तान से बाहर नहीं ले जाया जा सकता जब तक उसका मुकदमा कोर्ट में विचाराधीन है.
वकील इकबाल जाफरी ने कहा है कि हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि रेमंड डेविस को न तो किसी और देश को सौंपा जाएगा और न ही कोर्ट के प्रभावक्षेत्र से बाहर निकाला जाएगा. हाई कोर्ट के अधिकारी ने भी फैसले की पुष्टि की है. जाफरी के अनुसार कोर्ट ने कहा है कि यह तय करना उसका अधिकार है कि डेविस को कूटनीतिक सुरक्षा प्राप्त है या नहीं.
यह मामला राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की सरकार के लिए विस्फोटक साबित हो सकता है. कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने डेविस को छोड़े जाने के खिलाफ चेतावनी दी है. पाकिस्तानी मीडिया के एक हिस्से ने भी डेविस पर पाकिस्तान में मुकदमा चलाने की मांग की है.
अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के प्रयासों में पाकिस्तान अमेरिका का महत्वपूर्ण साथी है. लेकिन पाकिस्तान सरकार को सावधानी से कदम उठाने होंगे क्योंकि मुस्लिम देश में अमेरिकी विरोधी भावनाएं बहुत तगड़ी हैं.
अमेरिका ने पाकिस्तान को पिछले सालों में अरबों डॉलर की सहायता दी है लेकिन उग्रपंथी ठिकानों पर ड्रोन हमलों के कारण देश में बहुत अलोकप्रिय है. रेमंड डेविस को शुरू में लाहौर के कंसुलेट का अधिकारी बताने के बाद अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को उसे राजनयिक बताया जिसे अवैध रूप से हिरासत में रखा जा रहा है. दूतावास ने राजनयिक की गिरफ्तारी को वियना संधि का हनन बताया है.
अमेरिकी सांसदों के एक दल ने सोमवार को राष्ट्रपति जरदारी से भेंट की और डेविस का मुद्दा उठाया. राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्लाह बाबर के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के पूरा होने का इंतजार किया जाना चाहिए. डेविस को शुक्रवार से पूछताछ के लिए छह दिनों की पुलिस हिरासत में रखा जा रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ओ सिंह