अमेरिका को पाकिस्तान पर भरोसा नहीं
६ अप्रैल २०११अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान सरहदी इलाकों में पल रहे तालिबानी लड़ाकों को पूरी तरह अपने वश में कर ले. यहीं से ये तालिबानी अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी और पश्चिमी देशों की फौजों पर हमले की योजना बना कर उन्हें अंजाम देते हैं. अमेरिकी संसद में पेश किए गए ओबामा प्रशासन के तैयार किए रिपोर्ट में कहा गया है, "पाकिस्तान में आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई तयशुदा योजना नहीं है. हालांकि इसके लिए करीब एक लाख 47 हजार से ज्यादा सैनिकों की तैनाती की गई है.
नाकाम हुई पाक सेना
तालिबान चरमपंथियों की पनाहगाह बनी पाक अफगान सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों की कार्रवाई तालिबानियों को नुकसान पहुंचाने में नाकाम साबित हुई है. हाल ही में सूफी दरगाह पर हुए दो आत्मघाती बम हमलों ने भी एक बार फिर यह बात पुख्ता कर दी है. रविवार को हुए इन धमाकों में 41 लोगों की जान गई.
रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि जिन इलाकों को आतंकवादियों के चंगुल से आजाद कराया गया है उनसे भी पाकिस्तान सेना आतंकवादियों को पूरी तरह दूर नहीं रख पा रही है. रिपोर्ट में इस बात का साफ जिक्र है, "दो साल के भीतर तीसरी बार आतंकियों को खदेड़ने के लिए अभियान चलाना पड़ रहा है जाहिर है कि पाकिस्तानी सेना और सरकार इन इलाकों में आतंकियों को दोबारा पहुंचने से नहीं रोक पा रही है."
अमेरिकी सेना आतंकवादियों के कब्जे वाले इलाकों से उन्हें भगा कर वहां बुनियादी ढांचे का विकास करती है और इस तरह से स्थानीय लोगों का दिल जीतने की कोशिश करती है. यह योजना इराक में बड़े पैमाने पर लागू की गई और पाकिस्तान में भी इसे अपनाया जा रहा है. पर यहां मामला उल्टा पड़ रहा है. भगाए गए आतंकवादी दोबारा इन इलाकों में घुस आ रहे हैं.
आपसी रिश्तों पर असर नहीं
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि पाकिस्तान अमेरिका सैनिक सहयोग अमेरिकी अधिकारी रेमंड डेविड की गिरफ्तारी और उस पर हुए तमाम हो हल्ला के बावजूद कायम रहा. रिपोर्ट में कहा गया है, "अमेरिकी अधिकारी रेमंड डेविस की गिरफ्तारी के बाद दोनों देशों में आए तनाव के बावजूद आपसी सैनिक सहयोग सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है." रेमंड डेविस को दो पाकिस्तानी युवकों को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. बाद में पाकिस्तानी कोर्ट के निर्देश पर ब्लड मनी देकर उनकी रिहाई हुई.
अफगानिस्तान की आलोचना
रिपोर्ट में अफगानिस्तान के काबुल बैंक में हुए घपले के लिए उसकी कड़ी आलोचना की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, "काबुल बैंक की वित्तीय समस्या के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने में नाकामी अफगानिस्तान सरकार से अंतरराष्ट्रीय दान दाताओं को चिंता में डाल दिया है." अफगान सरकार देश के सबसे बड़े निजी कर्जदाता को अरबों डॉलर के घपले के बाद भंग करने पर रजामंद हो गई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उसे मिलने वाली सहायता पर इस घपले का असर हो सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार