अमेरिका से अफगानिस्तान को नफा नहीं नुकसान
९ मई २०१२समाचार एजेंसी एपी और जीएफके के सर्वे में यह बात सामने आई है. इसमें कहा गया है कि 66 फीसदी लोग अफगानिस्तान मिशन का विरोध करते हैं और 40 फीसदी लोग सख्त तरीके से इसकी मुखालफत में हैं. दो साल पहले करीब 46 प्रतिशत लोग अफगानिस्तान युद्ध का समर्थन कर रहे थे, जबकि पिछले साल की गर्मियों से पहले 37 फीसदी लोग अफगान मिशन का साथ दे रहे थे. लेकिन इस बार जिन 27 फीसदी लोगों ने साथ दिया है, उनमें सिर्फ आठ फीसदी ने इसे पूरी तरह समर्थन दिया है.
इस सर्वे में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने से जुड़ा सवाल भी पूछा गया और 38 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे आतंकवाद की समस्या पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हालांकि 31 प्रतिशत कहते हैं कि इससे आतंक का खतरा कम होगा, जबकि 27 फीसदी का कहना है कि इससे समस्या बढ़ गई है. यह सर्वे अंडरवीयर बम से जुड़ी साजिश के पर्दाफाश होने से पहले किया गया है.
नॉर्थ कैरोलाइना के क्रिस सोलोमन का कहना है कि वह युद्ध के जबरदस्त विरोधी हैं. उनका कहना है कि अमेरिकी मिशन अपनी हद पर पहुंच गया है और अगर उनके हाथ में होता तो वह इसे फौरन बंद कर देते. उन्होंने कहा कि वहां अल कायदा के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर तालिबान को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे विदेशी सैनिक संकट में आ रहे हैं, "हम आखिर किसकी मदद कर रहे हैं. हम आखिर वहां क्या कर रहे हैं."
हालांकि करीब 48 प्रतिशत लोगों का कहना है कि अमेरिका के सैनिक अफगानिस्तान को स्थिर राष्ट्र बनाने में मदद कर रहे हैं, जबकि 36 फीसदी लोग इसका उलटा समझते हैं. करीब 14 प्रतिशत लोग कहते हैं कि उन्हें नहीं मालूम, जिन लोगों ने इसका विरोध किया है, उनमें से करीब आधे (49 प्रतिशत) लोगों का कहना है कि अमेरिका की मौजूदगी से अफगानिस्तान का जितना फायदा नहीं हो रहा, उससे ज्यादा नुकसान हो रहा है.
अमेरिका में अफगान मिशन के घटते समर्थन के बावजूद राष्ट्रपति बराक ओबामा घोषणा कर चुके हैं कि अफगानिस्तान में 2014 तक अमेरिकी फौज रहेगी. इस महीने के आखिर में शिकागो में नाटो की बैठक होने वाली है, जिसमें राष्ट्रपति ओबामा इस बात पर चर्चा करने वाले हैं कि किस तरह से अफगान फौज को तालिबान लड़ाकों से संघर्ष के लिए तैयार किया जाए. अफगानिस्तान में अमेरिका के 88,000 सैनिक तैनात हैं.
राष्ट्रपति ओबामा ने पिछले हफ्ते अचानक अफगानिस्तान का दौरा किया और सरकार के साथ 10 साल के एक समझौते पर दस्तखत किया. उन्होंने कहा कि वह युद्ध खत्म कर रहे हैं लेकिन हो सकता है कि जब तक यह समाप्त हो, उनके कुछ और दोस्त मारे जा चुके हों, "मुझे पता है कि बहुत से अमेरिकी युद्ध से त्रस्त हो चुके हैं. लेकिन हमें वह काम पूरा करना है, जो हमने शुरू किया है और इस युद्ध को जिम्मेदारी के साथ समाप्त करना है."
अफगानिस्तान में अब तक अमेरिका के 1,834 जवान मारे जा चुके हैं. ओबामा का कहना है कि उनकी नीतियों की वजह से अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन मारा गया और इस वजह से उन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत मिलनी चाहिए. उनका दूसरा तर्क यह है कि वह इराक और अफगानिस्तान में तय वक्त पर युद्ध खत्म करना चाहते हैं और इस वजह से भी उन्हें चुना जाना चाहिए. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद ओबामा ने इराक युद्ध तय वक्त पर खत्म कर दिया और वहां की शक्ति अफगानिस्तान में लगा दी.
अफगानिस्तान की धरती पर 12 साल से जंग चल रही है. कोई एक लाख लोगों ने जान गंवा दी है, जिनमें बुजुर्ग, औरतें और मासूम बच्चे भी शामिल हैं. और जीत हार का फैसला होना अभी बाकी है.
एजेए/ओएस (एपी)