अमेरिका हमें टकराव की तरफ न धकेले: ईरान
३ नवम्बर २०११ईरान के सरकारी प्रेस टीवी के मुताबिक, "इस बात की मजबूत अटकलें हैं कि इस्राएल ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले करने जा रहा है. अगर इस पर अमल होता है तो जियनवादियों के अस्तित्व पर इसके विनाशकारी परिणाम होंगे." टीवी रिपोर्ट के मुताबिक इस्राएल ईरान की सैन्य क्षमता को जानता है और ईरान मिसाइल उद्योग के लिहाज से क्षेत्र में सर्वोत्तम और दुनिया के बेहतरीन मुल्कों में हैं.
अमेरिका को चेतावनी
उधर लीबिया के दौरे पर गए ईरानी विदेश मंत्री ने कहा है कि उनका देश बदतरीन स्थिति के लिए तैयार है और उन्होंने अमेरिका को चेतावनी दी कि ईरान को टकराव की तरफ न धकेला जाए. बेनगाजी में अली अकबर सालेही ने ये बातें इन मीडिया रिपोर्टों के जवाब में कहीं कि अमेरिका ईरान पर उसके विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम के कारण हमले के लिए दबाव बढ़ा रहा है.
सालेही ने कहा, "दुर्भाग्य की बात है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से निपटने के मामले में अमेरिका ने समझदारी और बुद्धिमानी खो दी है. वह सिर्फ ताकत पर निर्भर करता है. उन्होंने अपना विवेक गंवा दिया है. हम बुरी से बुरी स्थिति के लिए तैयार हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि ईरान को टकराव की तरफ धकेलने से पहले वे दो बार सोचेंगे."
अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी समझते हैं कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है, जबकि ईरान सरकार इससे इनकार करती है. वह कहती है कि उसके परमाणु कार्यक्रम का मकसद सिर्फ ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है और यह उसका हक है.
हमलों पर बंटी जनता
बुधवार को अमेरिका ने कहा कि वह ईरान के साथ परमाणु विवाद को लेकर तनाव का राजनयिक हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध है. वहीं इस्राएल में ईरान पर हमले करने की बातें तैर रही हैं. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, "हम राजनयिक संपर्कों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं, ईरान से निपटने के राजनयिक तौर तरीके."
इस बीच इस्राएल ने गुरुवार को तेल अवीव इलाके में अहम नागरिक रक्षा अभ्यास पूरा किया जिसका मकसद पारंपरिक और गैर पारंपरिक मिसाइल हमलों से निपटना है. सेना ने कहा कि यह आपातस्थिति से निपटने के लिए नियमित अभ्यास था और इसका मौजूदा घटनाक्रम से कोई लेना देना नहीं है.
बुधवार को इस्राएल के अखबार हारेत्ज ने खबर दी कि इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू और रक्षा मंत्री एहुद बराक ईरान पर हमले के लिए कैबिनेट की मंजूरी हासिल करना चाहते हैं. इसके बाद गुरुवार को हारेत्ज में प्रकाशित एक सर्वे के मुताबिक इस्राएली लोग ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले के मुद्दे पर बंटे हुए हैं. 41 प्रतिशत हमलों के हक में हैं तो 39 का कहना है कि इनकी की कोई जरूरत नहीं है. 20 प्रतिशत लोगों की इस बारे में कोई स्पष्ट राय नहीं है.
नाटो की भूमिका पर मतभेद
सालेही से लीबिया में पूर्व तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से बाहर किए जाने के लिए हुए नाटो हमले के बारे में भी सवाल किए गए. उन्होंने कहा, "नाटो बिना किसी कारण मदद करने नहीं आया. उन्होंने गलती की है. ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने इन गलतियों की आलोचना की है."
वहीं लीबिया की अंतरिम परिषद के प्रमुख मुस्तफा अब्देल जलील ने जवाब दिया, "गद्दाफी के सैनिकों ने 19 मार्च को आम लोगों को मारने की कोशिश की. अगर नाटो मदद के लिए नहीं आता तो गद्दाफी के सैनिक नरसंहार करते. जमीन पर लीबियाई लड़ाकों ने जीत दिलाई लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि गठबंधन सेनाओं के हवाई हमलों ने हमारी मदद की."
रिपोर्ट: डीपीए, एएफपी/ए कुमार
संपादन: आभा एम