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अमेरिकी आसमान में भी छाए ड्रोन

५ मार्च २०१३

भले ही उन्हें पाकिस्तान में तालिबान के प्रभाव वाले इलाकों के लिए जाना जाता हो लेकिन खुद अमेरिका के आसमान में भी ड्रोन छाने लगे हैं. हॉलीवुड के फिल्मी सेट से लेकर खेल के मैदान तक. अंगूर के बागान में भी.

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तस्वीर: AP

वे मीलों लंबी औद्योगिक पाइपलाइनों का मुआयना कर रहे हैं, तो जंगल में लगी आग पर भी नजर रख रहे हैं. वे नदियों का तापमान जांच रहे हैं तो ज्वालामुखी की हरकतों पर भी ध्यान दे रहे हैं.

इसके अलावा उनका इस्तेमाल अपराध के दृश्यों को दोबारा तैयार करने में भी हो रहा है और वे ये भी देख पा रहे हैं कि कौन गैरकानूनी ढंग से अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिकी आसमान ड्रोनों से छा सा गया है. दसियों हजार ड्रोन वहां उड़ान भर रहे हैं. हालांकि अमेरिका में ड्रोन उड़ाने के लिए पुलिस और सेना को भी विशेष अनुमति की जरूरत होती है. इनमें लाइव स्ट्रीमिंग वाले वीडियो कैमरे लगे हैं, इंफ्रारेड सेंसर भी लगे हैं. अमेरिका अब दुनिया को और खुद को देखने का तरीका बदल रहा है.

दो साल बाद यानी 2015 में अमेरिका में निजी ड्रोन उड़ाने के लाइसेंस दिए जाएंगे और उसके बाद तो पूरी तस्वीर ही बदलने वाली है. कोलराडो में मेसा काउंटी के उप शेरिफ बेन मिलर का कहना है कि इसकी संस्कृति बढ़ रही है. संघीय उड्डयन विभाग से विशेष अनुमति के साथ तीन साल से ड्रोन उड़ा रहे मिलर का कहना है, "अपना टीवी ऑन करें और किसी खेल पर खास ध्यान से नजर रखें. आपको पता लगेगा कि कई बार वे हवाई शॉट्स दिखा रहे हैं, जो निश्चित तौर पर बिना मानव वाले उपकरण से खींचे गए हैं. मैं तो यह भी कहता हूं कि अगर पिछले पांच साल में आपने कोई एक्शन फिल्म देखी है, तो उसमें भी ऐसे सीन होंगे."

साल 2015 में विशेष अनुमति के साथ अमेरिका में निजी ड्रोन विमान उड़ाए जा सकेंगे. इसके लिए खाका तैयार करने की शुरुआत हो गई है. इससे खेती, जहाजरानी, तेल खनन, व्यापारिक तौर पर मछली पकड़ने, मुख्य लीग स्पोर्ट्स, फिल्म और टेलीविजन प्रोडक्शन के अलावा पर्यावरण पर नजर रखने और मौसमी निगरानी के लिए इनका इस्तेमाल हो सकता है.

उड्डयन उद्योग ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि मानवरहित विमानों पर अगले 10 साल में दोगुना खर्च होगा और यह 90 अरब डॉलर का कारोबार बन सकता है. अमेरिका इसके रिसर्च और विकास में बड़ा रोल अदा करेगा.

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अमेरिकी ड्रोन प्रिडेटरतस्वीर: dapd

वैसे तो बरसों से शौकिया लोगों को हाथ से बने और रिमोट से नियंत्रित किए जाने वाले खिलौना विमानों को उड़ाने की अनुमति है, जो सीमित दूरी तक ही जा सकते है. लेकिन इनके व्यापारिक इस्तेमाल की पाबंदी है. हवाई फोटोग्राफर मार्क बेटसन का कहना है, "शौकिया तौर पर मैं ऐसा कर सकता हूं, लेकिन जैसे ही मैं इसका बिजनेस के लिए इस्तेमाल करूंगा, मुझ पर राष्ट्रीय उड़ान क्षेत्र के उल्लंघन का आरोप लग जाएगा."

पिछले साल अमेरिका की राष्ट्रीय फुटबॉल लीग ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह ड्रोनों को लाइसेंस देने में तेजी लाए. हॉलीवुड भी कई सालों से ऐसी मांग करता आ रहा है. फिलहाल अमेरिका में यूनिवर्सिटी, कानून लागू करने वाली संस्थाओं और दूसरे सार्वजनिक क्षेत्रों को 1428 ड्रोनों को उड़ाने की अनुमति है.

निजता का सवाल

दो साल पहले 2011 में न्यूज कॉर्प्स की वेबसाइट ने अलाबामा, मिसूरी और नॉर्थ डकोटा में छोटे ड्रोन भेजे, जिन्होंने बाढ़ग्रस्त इलाकों के नाटकीय दृश्य भेजे. इसके बाद सरकारी जांच के बाद चेतावनी जारी की गई. इसी बीच टीएमजी वेबसाइट के बारे में अफवाह चली कि वह अपना ड्रोन उड़ाना चाहता है. बाद में रिपोर्ट गलत साबित हुई, पर लोगों में चिंता तो है ही.

अमेरिकी सेना को सलाह देने वाले पैट्रिक एगान का कहना है, "मुझे पुलिस के ड्रोन से ज्यादा खतरा नहीं है लेकिन मीडिया के ड्रोन से खतरा है. जरा सोचिए कि अगर पापाराजियों ने हॉलीवुड की पहाड़ियों पर ड्रोन भेजने शुरू किए तो क्या होगा." इसके अलावा लोगों की निजता का भी सवाल है.

सामाजिक अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कानून लागू करने वाली संस्थाओं के ड्रोन उड़ाने के अधिकार पर फौरन रोक लगानी चाहिए. अमेरिका के 15 प्रांतों ने इन पर रोक के लिए कानून तैयार किए हैं. यहां तक कि कुछ ड्रोनों को तो उनके निर्माताओं तक वापस भी पहुंचा दिया गया है.

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अमेरिकी नौसेना का बीक्यूएम-74ई ड्रोनतस्वीर: REUTERS/Stuart Phillips/U.S. Navy/Handout

सुरक्षा का सवाल

सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा का है. कुछ ऑपरेटरों के ड्रोन से देश की सुरक्षा पर भी सवाल उठ सकते हैं कि कहीं इससे आतंकवादियों को मदद तो नहीं मिलेगी. अगर मानव रहित विमान समानव विमानों से हवा में टकराए, तो भारी नुकसान पहुंचेगा.

ड्रोन तैयार करने वाले कुछ डिजाइनरों और इंजीनियरों को इस बात का डर है कि चीनी इसकी नकल कर लेंगे. टेक्सास के पायलट जीनी रॉबिनसन का कहना है, "चीनी हमको मार डालेंगे. उन्होंने हर चीज की कॉपी कर ली है. मेरे डिजाइन की भी."

उनका कहना है कि उन्होंने अपने वेबपेज पर वेब ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया था. बाद में उन्होंने पड़ताल की तो पता चला कि एक चीनी कंपनी ने महीने भर तक उनके वेबसाइट से मदद ली और पिछले साल उन्होंने पाया कि एक चीनी डिजाइन कंपनी ने रिवर्स इंजीनियरिंग करके इस सॉफ्टवेयर को तैयार किया और 169 डॉलर में इसे बेचने भी लगी.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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