1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अमेरिकी नौसेना को ईरान ने दी चेतावनी

४ जनवरी २०१२

अमेरिका और यूरोपीय संघ के नए आर्थिक प्रतिबंधों से परेशान ईरान ने मंगलवार को अमेरिकी नौसेना को कड़ी चेतावनी दी है कि वो फारस की खाड़ी में वापस न लौटे. ईरान के सेना प्रमुख ने साफ कहा है कि वो चेतावनी दोहराएंगे नहीं.

https://p.dw.com/p/13dYY
तस्वीर: Irna

ईरान के सेना प्रमुख अताओल्लाह सालेही ने कहा है कि अमेरिका ने अपने विमानवाही पोत को ईरान के नौसैनिक अभ्यास के कारण खाड़ी से बाहर निकाल लिया है और अगर उसने दोबारा लौटने की कोशिश की तो उस पर कार्रवाई होगी. सालेही ने कहा, "ईरान अपनी चेतावनी दोहराएगा नहीं. दुश्मन का युद्धपोत हमारे अभ्यास के कारण ओमान के सागर में चला गया है. मैं जोर दे कर अमेरिकी युद्धपोत से कह रहा हूं कि वो फारस की खाड़ी में वापस न लौटे. " सालेही ने बेहद कड़े शब्दों में कहा है, "उनको मेरी सलाह, निर्देश और चेतावनी है कि यह युद्धपोत फारस की खाड़ी में वापस न लौटे क्योंकि एक बार से ज्यादा चेतावनी देने की हमारी आदत नहीं."

उधर अमेरिकी सेना ने इस चेतावनी को हवा में उड़ाते हुए कहा है कि जो दशकों से होता आया है वही होगा. अमेरिकी सेना के प्रवक्ता कमांडर बिल ने कहा, "फारस की खाड़ी के इलाके में अमेरिकी सेना की मौजूदगी वैसे ही रहेगी जैसी दशकों से रहती आई है. अमेरिकी सेना अंतरराष्ट्रीय समुद्री समझौते के मुताबिक समुद्र की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखती है जिससे की सागर के रास्ते से होने वाला वैश्विक व्यापार चलता रहे." अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस जॉन सी स्टेन्निस इस इलाके में अमेरिकी नौसेना के टास्क फोर्स की अगुवाई करता है. फिलहाल यह फारस की खाड़ी से बाहर अरब सागर में है और वहां से अफगानिस्तान की जंग में हवाई सहायता दे रहा है. पिछले महीने की 27 तारीख को इसने खाड़ी से बाहर की ओर रुख किया. बाहर जाने के लिए इसने होर्मुज के रास्ते का इस्तेमाल किया.

Ataollah Salehi
अताओल्लाह सालेहीतस्वीर: AP

इस बीच तेहरान के बैंकों के बाहर मुद्रा बदलने के लिए लंबी लंबी कतारें लग गई हैं. लोग अपनी मुद्रा को बदल कर डॉलर खरीद रहे हैं. ईरानी मुद्रा रियाल के सामने पहली बार इस तरह का गंभीर संकट पैदा हुआ है. ईरान के तेल कारोबार को पहली बार इस तरह की भयानक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. प्रतिबंधों के कारण उसकी गतिविधियों पर भारी असर पड़ने की आशंका पैदा हो गई है.

अमेरिकी प्रतिबंध अगर पूरी तरह से लागू हो गए तो दुनिया भर में कई रिफाइनरियों के लिए ईरान के कच्चे तेल के लिए पैसा चुकाना मुश्किल हो जाएगा. यही वजह है कि दबाव बनाने के लिए इसका एलान तो कर दिया गया है लेकिन लागू धीरे धीरे किया जाएगा. दुनिया भर में तेल की कीमतों पर इसका भारी असर होगा. उधर यूरोपीय संघ भी इस महीने के अंत तक प्रतिबंध के नए उपायों पर विचार करने वाला है.

चीन, भारत और दूसरे देश ईरान पर ऐसे किसी प्रतिबंध का समर्थन तो नहीं करेंगे लेकिन अगर पश्चिम का दबाव बढ़ा तो वो ईरान से ज्यादा छूट की मांग करेंगे और इससे ईरान की आमदनी घटेगी. चीन ने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी है. पिछले साल के 11 महीनों में उसने अपने कुल तेल आयात का 11 फीसदी हिस्सा ईरान से लिया लेकिन जनवरी से इसमें प्रति दिन 2,85,000 की कटौती कर दी है.

Iran Manöver persischer Golf Test Raketen
ईरान ने मिसाइल का परीक्षण कियातस्वीर: Fars

आर्थिक प्रतिबंधों से परेशान ईरान ने अपनी तरफ से आक्रामक रुख दिखाने की कोशिश की है. पिछले हफ्ते उसने एलान किया कि वो होर्मुज के संकरे गलियारे को बंद कर देगा. इस गलियारे से 40 फीसदी पेट्रोलियम की आवाजाही होती है. ईरान ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका ने अपने सैन्य ताकत का इस्तेमाल उस पर दबाव बनाने के लिए किया तो वो इस रास्ते को बंद कर देगा. सिर्फ इतना ही नहीं उसने 10 दिनों के लिए खाड़ी में नौसेना का अभ्यास किDlया और फिर ऐसी मिसाइलों के परीक्षण किए जो मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिक ठिकानों को निशाना बना सकते हैं.

हालांकि जानकारों का मानना है कि ईरान कभी भी सीधी जंग में उतरने की भूल नहीं करेगा क्योंकि अमेरिकी नौसेना ईरान की नौसेना से हर मामले में ज्यादा काबिल और ताकतवर है. पर जानकार इस बात से चिंतित हैं कि ईरान के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के पुराने रास्ते एक एक कर बंद होते जा रहे हैं और नया रास्ता खुलने की कोई सूरत नजर नहीं आ रही.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी