अमेरिकी सेना का रोड मार्च
पूर्वी यूरोप के देश एस्तोनिया से अमेरिकी सेना का एक काफिला रोड मार्च पर जर्मनी की ओर रवाना हुआ है. रूस के साथ बढ़ते विवाद के बीच इस अभियान के साथ अमेरिकी सेना अपने नाटो सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाना चाहती है.
लोगों से नजदीकी
यात्रा की शुरुआत से पहले अमेरिकी सेना लोगों के साथ अपनी नजदीकी का परिचय दे रही है. एस्तोनिया के पैर्नू शहर में आम लोगों को सैनिक काफिले को नजदीक से देखने का मौका मिल रहा है. पूर्वी सागर पर स्थित शहर से सेना का रोड मार्च शुरू हुआ.
एकजुटता का संकेत
स्ट्राइकर टैंक को देखते बच्चे. अमेरिकी सेना का यह काफिला एस्तोनिया से चलकर लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड और चेक गणतंत्र होता हुआ जर्मनी पहुंचेगा. यूक्रेन में बढ़ते विवाद के साथ पूर्वी यूरोप के देशों में रूस से होने वाले खतरे का डर बढ़ गया है.
छूने को हथियार
खासकर अमेरिकी जवानों की भरोसा बढ़ाने वाली पेशकश से बच्चे अत्यंत खुश हैं. पैर्नू शहर में इस अभियान से पहले अमेरिकी सेना ने फरवरी में एस्तोनिया में अपनी उपस्थिति दिखाई थी. सेना ने रूसी सीमा पर पूर्वी एस्तोनिया के नार्वा शहर में सैनिक परेड में हिस्सा लिया.
अटलांटिक रिजॉल्व
औपचारिक रूप से अमेरिकी सेना का यह दौरा नाटो के सैनिक अभ्यास अटलांटिक रिजॉल्व में हिस्सा लेने के बाद जर्मनी के फिल्जेक में अपने स्थायी ठिकाने तक वापसी है. अधिकारियों के अनुसार आम तौर पर भारी हथियारों का परिवहन जहाज या रेल के जरिए होता है.
मेजबान देश
जर्मनी की ओर रोड मार्च पर पैर्नू से दर्जनों टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों का काफिला 1800 किलोमीटर के रास्ते पर निकला है. अमेरिकी सेना के एक प्रवक्ता ने कहा है कि रास्ते में पड़ने वाले मेजबान देशों को इस यात्रा की तैयारी में शामिल किया गया है.
बढ़ता कारवां
सेना के काफिले के जर्मनी में अपने अड्डे तक पहुंचने तक इसमें 100 गाड़ियां और 500 सैनिक शामिल हो जाएंगे. चेक विदेश मंत्री लुबोमीर जावरालेक ने रोड मार्च का स्वागत करते हुए कहा है, "यह साफ दिखाता है कि नाटो का सिद्धांत है, एक सबके लिए और सब एक के लिए."
हाईवे पर काफिला
यात्रा के पहले चरण में अमेरिकी सेना के काफिले को एस्तोनिया की पुलिस ने एस्कॉर्ट किया. लातविया की सीमा की ओर जाने के लिए काफिले ने हाईवे का रास्ता चुना.