अरबपति कारोबारी राजारत्नम को जेल
१४ अक्टूबर २०११प्यार और आत्मीयता के साथ शेयर बाजार की ट्रेडिंग ट्रिक्स बताने वाले और चुटकियों में अथाह पैसा बनाने वाला राज राजारत्नम अब 11 साल तक जेल में एक एक दिन गिनेगा. अमेरिकी संघीय अदालत ने राजारत्नम को गलत तरीके से शेयरों की खरीद फरोख्त करने का दोषी करार दिया है. यह पहला मौका है जब इनसाइडर ट्रेडिंग के किसी दोषी को 11 साल लंबी सजा सुनाई गई है.
न्यूयॉर्क के फेडरल जज रिचर्ड हॉलवेल ने राजारत्नम की तीखी आलोचना करते हुए कहा, "विषाणु को खत्म करना जरूरी है." अदालत ने उस पर एक करोड़ डॉलर का जुर्माना ठोंका और 5.38 करोड़ डॉलर जब्त करने का आदेश दिया. फैसले के बाद जब जज ने उससे सफाई देने को कहा तो राजारत्नम ने इतना ही कहा, "धन्यवाद, सम्मानित जस्टिस मुझे कुछ नहीं कहना है."
54 साल के राजारत्नम को राहत के नाम पर डेढ़ महीने की मोहलत मिल पाई. राजारत्नम की किडनी बदली जानी है. अदालत ने इलाज के लिए उसे 28 नवंबर तक की मोहलत दी है. इसके बाद श्रीलंकाई कारोबारी को आत्मसमर्पण कर जेल की सजा भुगतनी होगी. प्रशासन को राजारत्नम पर नजर रखने के आदेश दिए गए हैं.
राजारत्नम अदालत के फैसले से मायूस भी नहीं दिखा. शायद उसे अंदाजा था कि अदालत उसे रियायत नहीं देगी. कोर्ट के बाहर निकलते ही कैमरे उसकी तरफ मुड़ गए और फ्लैश पर फ्लैश चमकने लगे.
राजारत्नम का सफर
1957 में कोलंबो में पैदा हुआ राजारत्नम बचपन से ही एक मेधावी छात्र रहा. जवानी में वह इंग्लैंड गया और ससेक्स यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. बिजनेस माइंड के धनी राजारत्नम ने इंग्लैंड के बाद अमेरिका का रुख किया. 1983 में पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. इसी दौरान वह अमेरिकी शेयर बाजार के जुड़े लोगों के संपर्क में आया. पहली नौकरी चेज मैनहट्टन बैंक में की और हाई टेक कंपनियों को लोन देकर बैंक के वारे न्यारे कर दिए.
इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की बारीकियां जानने वाला राजारत्नम फिर नीधाम एंड कंपनी से जुड़ा और दो साल के भीतर ही रिसर्च हेड बन गया. 1991 में वह नीधाम एंड कंपनी का अध्यक्ष बना. कुछ साल बाद राजारत्नम ने नीधाम एंड कंपनी को खरीद लिया और उसे गैलीअन नाम दिया. 2008 तक उसका हेड फंड कारोबार सात अरब डॉलर तक पहुंच गया. गैलीअन दुनिया की सबसे बड़ी हेज फंड कंपनी बन गई. विश्वव्यापी मंदी के बावजूद 2009 में 1.2 अरब डॉलर के उसके एक डाइवर्सिफाइड फंड का रिटर्न 22.3 फीसदी रहा.
अमेरिकी पत्रिकाएं और अखबार उसे 'द न्यू इनवेस्टमेंट सुपरस्टार' कहने लगे. लेकिन यहीं से राजारत्नम की मुश्किलें भी शुरू हुईं. मीडिया जब भी राजारत्नम से सफलता के राज पूछता तो वह कहता कि कंपनियों में जाकर, वहां के अधिकारियों से बातचीत कर उनके दिमाग में नए आइडिया आते हैं. उन पर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप लगे.
इनसाइडर ट्रेडिंग
शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों से जुड़ी कई जानकारियां सार्वजिक नहीं होती है. ऐसी जानकारियां व्यापार की रणनीति का हिस्सा होती है और उन्हें गोपनीय रखा जाता है. शेयरों की खरीद फरोख्त करने वाले ऐसी गोपनीय जानकारी का अपने हित के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते. दुनिया की ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में इनसाइडर ट्रेडिंग कानून जुर्म है. अमेरिका में इसे लेकर काफी सख्त कानून हैं.
राजारत्नम इसी चक्कर में फंसा. अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर उसने गोल्डमैन सैक्स, इंटेल, आईबीएम और गूगल समेत कई बड़ी कंपनियों की जानकारियां सार्वजनिक होने से पहले ही जुटा लीं. इन सूचनाओं का इस्तेमाल राजारत्नम ने अपनी हेज फंड कंपनी में किया और करोड़ों डॉलर कमाए.
अर्श से फर्श पर
अमेरिकी पूंजी बाजार में राजारत्नम को काफी सम्मान मिला. उसे सबसे प्यार और तहजीब से बात करने वाले सरल इंसान के रूप में देखा जाता रहा. हर साल अमेरिकी रईसों की सूची शामिल होने वाले राजारत्नम ने पाकिस्तान में आए भूंकप, श्रीलंका में सूनामी, गृहयुद्ध के विस्थापितों और अमेरिका में आई प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों की बढ़ चढ़ कर मदद की.
लेकिन अब राजारत्नम का नाम मुजरिमों की सूची में आ चुका है. मई 2011 में उसे शेयरों की गैरकानूनी ढंग से खरीद फरोख्त में 14 मामलों दोषी पाया गया. अब उसे 11 साल की सजा सुनाई है. दुनिया की सबसे बड़ी हेज फंड कंपनी गैलीअन जुर्माने भुगत भुगत कर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.
रिपोर्ट: एपी, रॉयटर्स/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार