अलगाववादियों का जनमत संग्रह
११ मई २०१४मतदान पत्र में पूछा गया है कि क्या वहां के लोगों को भविष्य में डोनेट्स्क और लुहांस्क में पीपुल्स रिपब्लिक चाहिए. हां या ना में जवाब देना है. इसका मतलब है ज्यादा स्थानीय अधिकार, स्वायत्तता और अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता.
कई मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें देखी गई. हालांकि मतदान के दौरान किसी तरह का निशान हाथ पर नहीं लगाया जा रहा था जिससे कि पता चल सके कि कोई व्यक्ति वोट डाल चुका है या नहीं. इतना ही नहीं, वोटिंग से पहले किसी तरह की वोटिंग लिस्ट भी अलगाववादियों के पास नहीं थी.
डोनेट्स्क और लुहांस्क में करीब 30 लाख लोग अपना मत दे सकते हैं. हालांकि रूस सहित पश्चिमी देशों ने अलगाववादियों से अपील की थी कि वो ये वोट रद्द कर दें, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
मीडिया फुटेज में देखा जा सकता था कि मत देने के लिए खड़े कुछ लोग स्वघोषित पीपुल्स रिपब्लिक का झंडा टांके खड़े हैं.
इंटरफेक्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक वोटिंग बहुत ज्यादा तो नहीं है लेकिन फिर भी अच्छा है. कीव के मीडिया ने मतदान कम बताया है. सरकार ने इस कथित जनमत संग्रह को अपराध छिपाने की कोशिश करार दिया है. रूस पर इसके समर्थन का आरोप लगाते हुए कीव ने कहा, "डोनेट्स्क और लुहांस्क में जो हो रहा है उसे कोई जनमत संग्रह नहीं कहेगा."
पूर्वी यूक्रेन में 65 लाख लोग रहते हैं जिनमें से अधिकतर रूसी भाषी हैं. उनका दावा है कि कीव उनके हितों की ओर ध्यान नहीं देता.
मारियूपोल में अलगाववादियों और नेशनल गार्ड्स के बीच शनिवार को भारी हिंसा हुई थी. इसमें सात लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए.
यूरोप के नेताओं ने कीव और मॉस्को से अपील की है कि 25 मई को राष्ट्रपति चुनावों से पहले वह किसी तरह की सैन्य कार्रवाई नहीं करें. जर्मनी और फ्रांस ने पूर्वी यूक्रेन में हो रहे जनमत संग्रह को अवैध करार दिया है.
उधर डोनेट्स्क के इलाके से एक अलगाववादी नेता डेनिस पुशिलिन ने कहा कि नतीजा आने के बाद वह अपनी खुद की सरकार बनाएंगे और सरकारी सेना को "कब्जा करने वाले" के तौर पर देखेंगे. इंटरफेक्स समाचार एजेंसी के मुताबिक, "जनमत संग्रह के नतीजे की घोषणा के बाद हमारे इलाके में सैनिक अवैध होंगे और उन्हें कब्जा करने वालों के तौर पर देखा जाएगा."
एएम/एमजी (डीपीए, रॉयटर्स)