अहमदीनेजाद ने की ईरानी विदेश मंत्री की छुट्टी
१४ दिसम्बर २०१०मोत्तेकी को हटाया जाना राष्ट्रपति अहमदीनेजाद और संसद के बीच टकराव का संकेत है. संसद का आरोप है कि राष्ट्रपति ज्यादा से ज्यादा शक्तियां अपने हाथ में लेना चाहते हैं और सांसदों की राय को अनदेखा करना चाहते हैं. वैसे इस बात का कोई संकेत नहीं है कि विदेश मंत्री बदले जाने से ईरान की परमाणु नीति या फिर विदेश नीति में कोई बड़ा बदलाव आएगा. सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खमेनाई ही परमाणु नीति और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर अंतिम फैसला लेते हैं.
ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ईरना ने कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की ओर से मोत्तेकी को सौंपे पत्र के हवाले से कहा है, "मैं विदेश मंत्री के तौर पर आपकी मेहनत और सेवाओं को सराहता हूं." मोत्तेकी को संसद के स्पीकर अली लारिजानी का समर्थक समझा जाता है. 2005 के चुनाव में अहमदीनेजाद से हारने वाले लारिजानी को अब संसद के साथ टकराव में राष्ट्रपति का अहम राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है. राष्ट्रपति संसद की तरफ से पारित विधेयक पर हस्ताक्षर करने में देरी कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने राजधानी तेहरान में निवेश की जाने वाली राशि को भी रोक रखा है. अहमदीनेजाद का कहना है कि अत्यधिक स्तरों वाली राजनीतिक व्यस्था में वह संसद से ऊपर हैं.
अहमदीनेजाद की आर्थिक नीतियों के कुट आलोचक रहे लारिजानी ने खमेनाई से बड़े ही सधे हुए लहजे में कहा है कि राष्ट्रपति को नियंत्रित किया जाए. महत्वपूर्ण सांसदों ने चेतावनी दी है कि वे संविधान की अनदेखी के आरोपों में राष्ट्रपति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं. उन्होंने महाभियोग तक की धमकी दी है. कुछ सांसदों का आरोप है कि तेल के निर्यात से होने वाली आमदनी को अहमदीनेजाद संसद की मंजूरी के बिना ही खर्च रहे हैं.
राष्ट्रपति ने कई क्षेत्रीय विदेश नीति सलाहकार नियुक्त कर पारपंरिक रूप से उदारवादी समझे जाने वाले विदेश मंत्रालय को भी हाशिए पर डालने की कोशिश की है. ईरानी सरकार से जुड़ी वेबसाइट खबोरऑनलाइन का कहना है कि मोत्तेकी ने समांतर राजनयिक ढांचा खड़ा करने के लिए राष्ट्रपति की कड़ी आलोचना की. अहमदीनेजाद ने ईरान के आण्विक ऊर्जा संगठन के प्रमुख सालेही को कार्यवाहक विदेश मंत्री नियुक्त किया है. ईरना का कहना है कि सालेही परमाणु प्रमुख के पद पर भी बने रहेंगे. नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि 2005 में ही सालेही विदेश मंत्री के तौर पर अहमदीनेजाद की पहली पसंद थे. लेकिन खमेनाई ने सालेही को खारिज कर दिया.
अगले हफ्ते अहमदीनेजाद तुर्की जाने वाले हैं. तुर्की के शहर इस्तांबुल में ही जनवरी में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अगले दौर की बातचीत होगी. ईरान का विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम उसकी विदेशी नीति का सबसे बड़ा मुद्दा है. पश्चिमी देशों को शक है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है जबकि ईरान का कहना है कि उसके परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़