आइटम नंबर नहीं करूंगी, धनुष को नचाउंगीः फराह
२६ नवम्बर २०११पर्दे के एक तरफ फिल्मों के कलाकार मचलते हैं तो दूसरी तरफ कुर्सियों पर बैठे दर्शकों का दिल उछलता है, फराह खान की कोरियोग्राफी में कुछ ऐसी ही मदहोशी है पर वो तो अब उन्हीं प्यार भरे गीतों में लौट जाना चाहती हैं जो लंबे समय से उनके अरमानों को पंख देते रहे हैं. कहती हैं अब आईटम नंबरों से जी भर गया है, "मैंने लगातार पांच किए हैं, अब प्यार भरे गीत ज्यादा कर रही हूं जो मैं पहले किया करती थी."
फराह का ये भी मानना है कि प्रेमगीतों की कोरियोग्राफी को आमतौर पर बहुत तवज्जो नहीं मिलती. उन्होंने कहा, "ये गीत तो किनारे कर दिए जाते हैं. यहां तक कि अवॉर्ड के लिए इनका नामांकन तक नहीं होता. इन गीतों के किनारे किए जाने के पीछे वजह यह है कि डांस वाले गीतों को ज्यादा लोग पंसद करते हैं." कोरियोग्राफी से फिल्म निर्देशन तक का सफर तय करने वाली फराह ने मैं हू ना और ओम शांति ओम जैसी कामयाब फिल्मों का निर्देशन किया है. पर अब कह रही हैं कि ऐसी फिल्म बनाएंगी जिसमें न तो कोई गाना हो न ही कोई डांस.
तो क्या कोरियोग्राफी पूरी तरह छोड़ देने का इरादा है, अरे नहीं ये तो बस कुछ दिनों की बात है. फराह ने तो यह भी कह दिया कि अगर धनुष के हिट गाने कोलावरी डी की कोरियोग्राफी करने का मौका मिला तो छोड़ूंगी नहीं. तमिल और अंग्रेजी बोल वाला ये गाना इन दिनों पूरे भारत में धूम मचा रहा है. फराह कहती हैं कि इस गाने की कोरियोग्राफी एक बड़ी चुनौती होगी, "मैं धनुष की बहुत बड़ी फैन हूं और इस गाने की कोरियोग्राफी करना पसंद करूंगी. निश्चित रूप से इसकी कोरियोग्राफी में बहुत दबाव होगा. गाना पहले ही इतना हिट हो चुका है. जो कोई भी इसकी कोरियोग्राफी करे अच्छा यही होगा कि इसके असल रूप को बचाए रखे." कोलावरी डी गाना तमिल के स्टार धनुष और श्रुती हसन की भूमिका वाली थ्री फिल्म में है जो अगले साल पर्दे पर उतरेगी.
कई बड़े सितारों को पर्दे पर नचा चुकी फराह खान को अफसोस है तो इस बात का कि ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार को कभी नचाने का मौका नहीं मिस सका. ओम शांति ओम में फराह ने 31 सितारों को नचा दिया लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी दिलीप साहब को वहां तक लाने में कामयाबी नहीं मिल सकी. फराह कहती हैं, "दिलीप साहब भी अगर उस गाने में आ गए होते तो मजा आ जाता. शाहरुख को दिलीप साहब को लाना था और वो छह दिन उनके पास गए लेकिन वो नहीं आए."
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह