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आईफोन को मारने निकला मोजिला

२८ फ़रवरी २०१२

मुफ्त वेब ब्राउजर फायरफॉक्स दिलाने वाली कंपनी मोजिला अब मोबाइल उपभोक्ताओं को भी अपनी नई पेशकश से लुभाना चाहती है. मोजिला ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन आम स्मार्टफोन से दस गुना सस्ते होंगे.

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नोकिया की लूमियातस्वीर: picture-alliance/dpa

मोजिला एक ऐसी कंपनी है जो लाभ के लिए काम नहीं करती. इसका बूट टू गेको प्रोजेक्ट गूगल के एंड्रायड या एपल के आईफोन में इस्तेमाल की जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम (आईओएस) को कड़ी प्रतिस्पर्धा देना चाहता है. ऑपरेटिंग सिस्टम का मतलब है कोई भी ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम जिससे कंप्यूटर की फाइलों को इस्तेमाल किया जा सकता है, जो उपभोक्ता और कंप्यूटर के बीच संपर्क का जरिया होता है. घर में इस्तेमाल किए जाने वाले कंप्यूटरों में आम तौर पर विंडोज को लगाया जाता है. इसकी मदद से आप अपने दस्तावेजों को पढ़ सकते हैं, ईमेल चेक कर सकते हैं, संगीत सुन सकते हैं या तस्वीरें देख सकते हैं. एपल के कंप्यूटरों में मैक ओएस लगाया जाता है और आजकल के स्मार्टफोन्स में उंगलियों से चलने वाला एंड्रायड, आईफोन का आईओएस या नोकिया का विंडोज ओएस इस्तेमाल किया जाता है.

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मोजिला के सिस्टम में एक ऐसा ओएस होगा जो पूरी तरह वेब पर चलेगा. मतलब कि फोन के सारे काम, कॉल करना, मेसेज और वेब ब्राउजिंग इंटरनेट पर किए जाएंगे. इससे यह फायदा होगा कि फोन बनाने वालों को अपने उपकरणों में मेमोरी चिप पर कम खर्चना होगा क्योंकि सारे काम और सारा डेटा इंटरनेट पर सुरक्षित रहेगा. इससे फोन तेज भी चलेगा और आम कंप्यूटरों पर लगने वाले माइक्रोप्रोसेसर की भी जरूरत नहीं होगी. फोन अपने आप सस्ता हो जाएगा. लेकिन इसके बावजूद एपल और स्मार्टफोन बनाने वाली बाकी कंपनियां मोजिला के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती हैं. मोजिला का एक फायदा है, यह ओपन सोर्स है, मतलब जो चाहता है, वह इसे मुफ्त डाउनलोड कर सकता है.

फोन की तकनीक पर काम करने के लिए मोजिला स्पेन की कंपनी टेलिफोनिका के साथ जुड़ गई है. इससे दक्षिण अमेरिका के देशों में काफी मुनाफा कमाया जा सकता है क्योंकि वहां के देशों में स्मार्टफोन के दाम बहुत ऊंचे हैं. नए 4एस आईफोन का दाम जर्मनी में कम से कम 600 यूरो है और भारत में इसकी कीमत 44,000 रुपए हैं. एंड्रायड पर चल रहे स्मार्टफोन 200 यूरो यानी कम से कम 10,000 रुपयों में मिलता है. नोकिया की लूमिया सीरीज विंडोज पर चलती है लेकिन इसके दाम भी 10,000 रुपये से कम नहीं है.

Firefox Erfinder Blake Ross
फायरफॉक्स के आविष्कारक ब्लेक रॉसतस्वीर: AP

"गेको को जूता"

1990 के दशक में नेटस्केप नेविगेटर पहले इंटरनेट ब्राउजर में से था. अमेरिकी कंपनी अमेरिका ऑनलाइन एओएल ने नेटस्केप को खरीदकर उसे चलाने के लिए खास इंजन बनाया जिसे गेको नाम दिया गया. गेको की वजह से नेटस्केप के इस्तेमाल में काफी परेशानिया आईं. इसी दशक में बिल गेट्स का माइक्रोसॉफ्ट अपने ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर के साथ आया, लेकिन यह केवल विंडोज ओएस के साथ ही चल सकता था. इंटरनेट एक्सप्लोरर ने नेटस्केप को खत्म तो किया ही, लेकिन इंटरनेट चाहने वाले लोगों को अपने विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का आदी बना दिया.

अपभोक्ताओं के लिए फिर 2004 में मोजिला का फायरफॉक्स बड़ी राहत बनकर आया. मोजिला के तकनीकी प्रमुख ब्रेंडन आइश कहते हैं कि उनका संगठन दोबारा मोबाइल जगत में क्रांति फैलाना चाहता हैं. "मोबाइल जगत में भी 1990 के दशक में एओएल की तरह दीवारे खड़ी हो गई हैं." यह बात संगठन के नए प्रॉजेक्ट के नाम से ही साबित हो जाती है. "बूट टू गेको" यानी गेको को जूता. मोजिला इस "बंद" सिस्टम को खत्म करना और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना चाहता है.

रिपोर्टः एएफपी/डीपीए/एमजी

संपादनः आभा एम

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