आखिरकार संसद पहुंचा लोकपाल बिल
२२ दिसम्बर २०११बुधवार को भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की. मुखर्जी ने बीजेपी नेताओं से कहा कि मंगलवार को पारित किया गया लोकपाल बिल बुधवार शाम तक ही संसद के सदस्यों को दिया जा सकेगा. इस साल मॉनसून सत्र में पेश किए गए लोकपाल बिल को गुरुवार को पहले वापस लिया जाएगा और उसकी जगह नए बिल को पेश किया जाएगा.
मुखर्जी ने कहा कि सरकार के पास संसद सत्र को बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं है. 27 से लेकर 29 दिसंबर तक संसद में लोकपाल विधेयक पर बहस होगी. बीजेपी ने शुरुआती हिचकिचाहट के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन उसके नेताओं का कहना है कि उन्हें बिल में कुछ मुख्य बातों से आपत्ति है, न कि संसद सत्र के बढ़ने से.
संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने मंगलवार को तय किया था कि संसद का मौजूदा सत्र तीन दिनों के लिए बढ़ा दिया जाएगा. अब यह 27 दिसंबर से तीन दिन और चलेगा. लेकिन कई सांसद इसके खिलाफ हैं.
सरकार लोकपाल विधेयक को दो मुख्य प्रावधानों के साथ पारित करने के लिए तैयार है. इनमें न्यायिक जवाबदेही विधेयक यानी ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी बिल और विसलब्लोअर बिल (भ्रष्टाचार उजागर करने वालों की सुरक्षा संबंधी विधेयक) भी शामिल हैं.
टीम अन्ना नाराज
इस बीच अन्ना हजारे की टीम ने नए लोकपाल बिल को यह तर्क देते हुए खारिज कर दिया कि सीबीआई को लोकपाल की निगरानी से बाहर नहीं रखना चाहिए. अन्ना की टीम का कहना है कि लोकपाल विधेयक में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रावधानों का कोई फायदा नहीं होगा, अगर सीबीआई को भी उसमें शामिल नहीं किया जाए. महाराष्ट्र में पत्रकारों से बात करते हुए अन्ना ने कहा, "अगर सीबीआई बाहर रहती है, तो लोकपाल प्रभावशाली कैसे होगा? अगर सीबीआई लोकपाल में आता है, तो भी चिदंबरम जेल में होंगे. आप भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को बचा रहे हैं और फिर कह रहे हैं कि लोकपाल ताकतवर है."
अन्ना ने कहा, यह विधेयक लोगों को "बेवकूफ" बना रहा है और लोग फिर सबक सिखाएंगे. अन्ना के मुताबिक वे उत्तर प्रदेश सहित उन चार राज्यों में यूपीए के खिलाफ कैंपेन करेंगे. इनमें अगले साल विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.
तीखे तर्क
टीम अन्ना के अरविंद केजरीवाल भी कहते हैं कि नए बिल से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा. लोकपाल से शिकायत तो की जा सकती है लेकिन वह जांच नहीं कर सकता. कहते हैं, "सरकार किस तरह की लोकपाल समिति बनाना चाहती है? वह लोगों को उल्लू बना रही है." टीम अन्ना की किरण बेदी ने भी यूपीए सरकार और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ट्विटर में तीखे तर्क ट्वीट किए हैं. वह कहती हैं कि बिल तो कोई नए विकल्प खड़े नहीं कर रहा, बल्कि बनाए हुए को बिगाड़ रहा है(बिल इज नॉट पाथ ब्रेकिंग बट ब्रेकिंग द पाथ), "सोनियाजी, धन्यवाद."
बेदी का कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार के पुराने मामलों से बचने की कोई प्रणाली न बने, तब तक सीबीआई सरकारी नियंत्रण में रहेगा. बेदी ने बीजेपी नेताओं से भी अपील की है कि वे सीबीआई को सरकार के कब्जे से हटाने में मदद करें. टीम अन्ना को सबसे ज्यादा खेद इस बात पर है कि सरकार ने शुरुआत में बिल को लेकर कुछ सकारात्मक बातें कही थीं. लेकिन नए विधेयक ने उसके प्रभाव को और कम कर दिया है.
मंत्रिमंडल से पास
मंगलवार रात को कैबिनेट ने लोकपाल बिल को पारित कर दिया. नए विधेयक की वजह से संविधान में भी कुछ संशोधन करने पड़ेंगे. लोकपाल की निगरानी में कुछ शर्तों के साथ प्रधानमंत्री पद को भी शामिल किया जाएगा. हालांकि बिल में जांच एजेंसी सीबीआई शामिल नहीं है. किसी भी मामले में शुरुआती जांच के लिए लोकपाल के पास अपनी जांच एजेंसियां होंगी. लोकपाल समिति में एक प्रमुख सहित नौ सदस्य होंगे. समिति के पास अपनी शुरुआती जांच एजेंसी होगी और सजा देने के लिए भी एक खास प्रमुख को रखा जाएगा.
लोकपाल समिति को पांच साल के लिए चुना जाएगा और उसके प्रमुख को महाभियोग से ही हटाया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए कम से कम 100 सांसदों की शिकायत जरूरी होगी. लोकपाल समिति में एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी. माना जा रहा है कि 50 प्रतिशत सदस्य कानून के जानकार होंगे. लोकपाल प्रमुख और उसके सदस्यों का चुनाव प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के सर्वोच्च न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट से नामांकित जज से बनी एक टीम करेगी.
रिपोर्टः पीटीआई, एएफपी/एमजी
संपादनः ए जमाल