आखिरी वक्त में तेजी से बिक रहे हैं टिकट
८ जनवरी २०१३टिकटों की बिक्री में उछाल तो आया है, लेकिन अभी भी लक्ष्य का 60 फीसदी ही हासिल हुआ है. टिकट बिकने शुरू हुए तो फुटबॉल प्रेमियों की भीड़ उमड़ पड़ी लेकिन आयोजन शुरू होने से एक महीने पहले तक सिर्फ 60,000 टिकट ही बिके थे. अगले दो हफ्ते की बिक्री के बाद करीब तीन लाख टिकट तो बिक गए लेकिन आयोजकों का लक्ष्य पांच लाख टिकट बेचने का है. आयोजन समिति के प्रवक्ता सिफो सिथोले कहते हैं, "लक्ष्य अब सामने दिख रहा है."
आलोचकों ने खाली स्टेडियमों की धमकी दी थी, जो अफ्रीका कप के दौरान बहुत आम है, लेकिन 60 फीसदी टिकटों की बिक्री के बाद आयोजक खुश हैं कि कम से कम स्टेडियम खाली नहीं रहेंगे. सिथोले कहते हैं कि यह सामान्य बात है कि फुटबॉल प्रेमी टिकट खरीदने से पहले थोड़ा इंतजार करते हैं. "मैं समझता हूं कि यह बाजार ऐसा ही है. यह कंसर्ट जैसा नहीं है कि टिकटों की बिक्री शुरू होते ही लोग खरीदना शुरू कर देते हैं."
अफ्रीका कप की शुरुआत 19 जनवरी को हो रही है. शुरुआती मुकाबला दक्षिण अफ्रीका और केप वेर्डे के बीच सॉकर सिटी स्टेडियम में हैं. यह वही स्टेडियम है जहां स्पेन ने 2010 में विश्व कप जीता था. केप वैर्डे पहली बार टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहा है. आने वाले तीन हफ्तों में अफ्रीका की बेहतरीन 16 टीमें महाद्वीप कप के लिए मुकाबला करेंगी.
टूर्नामेंट के शुरू होने में सिर्फ 11 दिन बाकी हैं, लेकिन स्टेडियमों में खाली सीटों की संभावना ने आयोजकों को परेशान कर रखा है. देश के पश्चिमोत्तर में रुस्टेनबुर्ग में होने वाले खेलों के लिए 200,000 सीटें हैं लेकिन उनमें सिर्फ 50,000 ही बिके हैं. यहां आइवरी कोस्ट, ट्यूनिशिया, अल्जीरिया और टोगो के मुकाबले होंगे, जिनमें वर्ल्ड क्लास के खिलाड़ी दिदियेर ड्रोग्बा भी खेलेंगे. हालांकि अब तक वे भी खेलप्रेमियों को आकर्षित नहीं कर पाए हैं.
अफ्रीका कप के खेलों के लिए दर्शक दूसरे देशों से भी आ रहे हैं. इथियोपिया के 30,000 दर्शक आ रहे हैं तो जाम्बिया के 15,000 लोग. लेकिन दर्शकों में सबसे बड़ी संख्या दक्षिण अफ्रीकियों की ही होगी. टिकटों की कीमत कम है, करीब 50 रांड यानि 6 डॉलर, लेकिन अफ्रीका में यातायात काफी खर्चीला है. इसके अलावा वैश्विक आर्थिक संकट ने भी बहुत से खेल प्रेमियों को टूर्नामेंट से दूर रखा है. इलाके की आर्थिक शक्ति दक्षिण अफ्रीका नाइजीरिया, इथियोपिया, कांगो और जांबिया से बहुत से मजदूरों को अपनी ओर खींचने में कामयाब हुई है. जब भी इन देशों की टीमें खेलेंगी वे उन्हें देखने के मौके का फायदा उठाएंगे.
उधर दक्षिण अफ्रीका के फुटबॉल प्रेमी शिकायत कर रहे हैं कि टिकट पाना मुश्किल हो रहा है. टिकट बेचने का ठेका पाने वाली ईक्यू टिकट्स ने अपर क्लास सुपरमार्केट चेन सुपर स्पार को टिकट बेचने की जिम्मेदारी दे दी है. कम आय वाले खेलप्रेमी इस सुपर मार्केट चेन में खरीदारी नहीं करते. इसलिए उनके लिए टिकट खरीदना मुश्किल हो रहा है. आयोजकों का कहना है कि अब वे कारवां लेकर आम लोगों तक टिकट पहुंचा रहे हैं.
लेकिन आखिर में टूर्नामेंट में लोगों की भागीदारी दक्षिण अफ्रीका की टीम के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी. वह वर्ल्ड कप की तरह ही टूर्नामेंट की मेजबानी के कारण ही क्वालिफाई हुआ है. वर्ल्ड कप में वह ग्रुप लेवल पर ही हार गया था. अगर इस बार ऐसा होता है तो दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रखना मुश्किल होगा.
एमजे/एमआर (एएफपी)