आतंकवाद से संघर्ष में व्यक्तिगत स्वतंत्रता त्यागने पर जर्मन विभाजित
९ सितम्बर २००७बिल्ड समाचारपत्र के रविवारीय अंक द्वारा करवाए गए ऐमनिड सर्वेक्षण में सामने आया कि 48 प्रतिशत लोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों को छोड़ने के लिए तैयार थे, जिनमें शामिल हैं सुरक्षा सेना द्वारा गुप्त ऑनलाईन जाँच करना, जबकि 47 प्रतिशत लोग इसके विरुद्ध नज़र आए।
इस समय तथाकथित 'सरकारी ट्रॉजन' जर्मनी में गर्मागरम बहस का मुद्दा बना हुआ है। गृहमंत्री वॉल्फगागं शॉयब्ले इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि कम्प्यूटर पर नज़र रखना वैध होना चाहिए जबकि कई वामपंथी राजनीतिज्ञ इसके विरुद्ध हैं। इस सर्वेक्षण ने पता किया कि 25 प्रतिशत लोग इस्लामी आतंकवादा से व्यक्तिगत रूप से ख़तरा महसूस करते हैं, जबकि 73 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं महसूस करते।
इस बात को लेकर जर्मनी में बढ़ता हुआ डर था कि अफ़ग़ानिस्तान में साढ़े तीन हज़ार जर्मन सैनिकों की तैनाती से देश इस्लामी आतंकवादियों के निशाने पर आ रहा है।
लगभग 49 प्रतिशत लोग अफ़ग़ानिस्तान से जर्मन सैनिकों और पुलिस को वापस बुलाने के पक्ष में हैं मगर 43 प्रतिशत लोग स्थिरीकरण अभियान के पक्ष में हैं।
जर्मन संसद में अफ़ग़ानिस्तान में सैनिक तैनाती के विषय पर बहस दोबारा शुरु हो रही है। जर्मन टीकाकारों के अनुसार पिछले सप्ताह एक विशाल बम हमले की संदिग्ध योजना के सिलसिले में पकड़े गए तीन लोगों में से दो इस्लाम धर्म क़बूल करने वाले जर्मन नागरिक हैं, चिंता का विषय है।
एक और जर्मन समाचारपत्र फ्रांकफुर्टर अलगमाइन ने रविवारीय अंक में ’आतंकवाद के बदलते दृश्य’ की बात उठाई है। समाचारपत्र ने कहा कि ’इस्लाम और इस्लामियत’ में अंतर करने की आवश्यकता है।
पाकिस्तान के साथ जुड़े तारों को भी प्रमुखता दी गई। जर्मन संघीय अभियोक्ता पक्ष ने कहा है कि पकड़े गए तीनों संदिग्धों ने पिछले वर्ष पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
सुरक्षा सेना द्वारा मीडिया को राज़ खोलते हुए बताया गया कि इन्हें कब और कहाँ हमला करना है इसके लिए ऑनलाइन आदेश मिल रहे थे। इन बातों की पुष्टि तो वहीं हुई है मगर इनसे इंकार भी नहीं किया गया है।