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'आध्यात्म रोक सकता है हिंसा'

२४ जनवरी २०१३

खचाखच भरे नीले गुलाबी झंडों वाले पंडाल में महाश्वेता देवी के भाषण के साथ जयपुर में साहित्य के कुंभ का आगाज हुआ है. बीते सालों में विवादों में रहने वाले साहित्य मेले में इस बार भी कई नामी हस्तियां पहुंची हैं.

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तस्वीर: Getty Images

"हर व्यक्ति, चाहे वह नक्सलवादी ही क्यों न हो, उसे सपने देखने का अधिकार होना चाहिए और यह मूलभूत अधिकार बनाया जाना चाहिए. और मानव को सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए." कलम की महारथी महाश्वेता देवी के यह कहते ही कि पंडाल तालियों से गूंज उठा. पहला प्रेम और बच्ची के प्रति माता पिता की चिंता, इन विषयों का जिक्र करते हुए महाश्वेता देवी ने अपने भाषण 'ओ टू लिव अगेन' में कहा, "कोई नहीं जानता था कि मैं ऐसी बनूंगी जैसी मैं आज हूं. मैं नब्बे के घर में हूं और मेरी उम्र में फिर से जीने का सपना देखना एक मजाक से कम नहीं. ताकत खत्म होने का मतलब रुक जाना कतई नहीं होता बस गति थोड़ी सी कम हो जाती है."

इस साल समारोह में 'साहित्य में बुद्ध' इस मुद्दे पर चर्चाएं होंगी. उद्घाटन भाषण में राजस्थान की राज्यपाल मार्गरेट अल्वा ने महिलाओं पर होने वाली हिंसा और जातीय हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि‚ "हिंसा का अंत अपराधियों और दोषियों को सजा देने से नहीं हो सकता. उसके लिए व्यक्ति में परिवर्तन होना चाहिए और यह आध्यात्म के जरिए ही हो सकता है."

कार्यक्रम की शुरुआत बौद्ध मंत्रोच्चार के साथ हुई. इसके बाद रंग बिरंगी राजस्थानी पोशाकों में सजे नाथू सिंह और साथियों ने नगाड़ों के साथ कार्यक्रम में चार चांद लगाए. इस समूह की खास बात थी देसी पोशाकों में नगाड़े बजाते विदेशी. इनमें एक आयरिश महिला कलाकार किम ने बताया, "पुष्कर में नाथू से मुलाकात हुई और उन्होंने हमसे इस समारोह में शामिल होने का आग्रह किया. हम यहां आ गए."

भारत के प्यार में पड़ी किम और उनके साथी कलाकार जयपुर से सीधे इलाहाबाद महाकुंभ में जाएंगे. साहित्य के अलावा विवादों में रहे जयपुर साहित्य समारोह के प्रोड्यूसर संजय रॉय ने कहा कि विवादों के कारण नाम तो मिलता है लेकिन ज्यादा झमेले भी ठीक नहीं. इस साल कट्टरपंथियों के विरोध के कारण पाकिस्तानी लेखकों का मुद्दा फिर सुर्खियों में आया. पिछले साल सलमान रुश्दी के विरोध पर सरकार के रवैये के कारण आयोजकों और अधिकारियों के बीच तनाव बढ़ा लेकिन इस साल भाषण में विशेष रूप से रॉय ने कहा कि सरकार और अधिकारियों का सहयोग बहुत बढ़िया रहा.

उद्घाटन में दीप प्रज्जवलन के दौरान राज्यपाल मार्गरेट अल्वा, नमिता गोखले, विलियम डेलरिम्पल, संजय रॉय उपस्थित रहे.

साहित्य मेला 28 जनवरी तक चलने चलेगा. बुधवार को भाषा और भ्रष्टाचार, द ग्लोबल शेक्सपीयर, रिवर्सिंग द गजा और अधूरा आदमी, अधूना नारी जैसी किताबों पर चर्चा हुई. साहित्य जगत में खासी प्रतिष्ठा रखने वाले जयपुर के मेले में इस बार हावर्ड यूनिवर्सिटी की डायना एक और दर्शनशास्त्री माइकल सैंडेल भी शिरकत कर रहे हैं. सैंडल 'व्हट मनी कैन नॉट बाय' जैसी चर्चित किताब लिख चुके हैं. अंधे पूंजी और उपभोक्तावाद के खिलाफ इस वक्त वह एक प्रमुख आवाज हैं.

रिपोर्ट: आभा मोंढे, जयपुर साहित्य समारोह

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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