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आर्कटिक में तेल शोधन की इजाजत, पर्यावरणवादी परेशान

७ अगस्त २०११

अमेरिका में ब्रिटिश पेट्रोलियम के हादसे के घाव अभी भरे नहीं हैं. तेल के कुएं में विस्फोट होने से पर्यावरण और जिंदगी का जितना नुकसान हुआ, उसकी भरपाई होने में बरसों लग जाएंगे. पर इंसान इतिहास से कुछ नहीं सीखता.

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तस्वीर: Markel Redondo/Greenpeace

अमेरिकी अधिकारियों ने तेल कंपनी शेल को आर्कटिक सागर में दोहन की इजाजत दे दी है. पर्यावरण के लिए चिंतित रहने वाले लोगों ने इस कदम को माफी लायक न बताते हुए इसकी निंदा की है.

शेल को अगले साल से आर्कटिक सागर में ड्रिलिंग शुरू करने की इजाजत दे दी गई. शेल ने अलास्का के बोएफोर्ट सागर के उथले पानी में चार कुएं बनाने का प्रस्ताव रखा था. अमेरिकी गृह मंत्रालय ने इसकी इजाजत दे दी है. ब्यूरो ऑफ ओशन एनर्जी मैनेजमेंट, रेग्युलेशन एंड एनफोर्समेंट ने बताया है कि दोहन अगले साल जुलाई से शुरू हो जाएगा.

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तस्वीर: AP

वैसे अभी शेल को अमेरिका की कुछ और एजेंसियों से इजाजत लेनी होगी. मसलन, एन्वायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी, यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस और नेशनल मरीन फिशरीज सर्विस की इजाजत के बिना तो दोहन शुरू नहीं हो सकता.

ब्यूरो के डायरेक्टर माइकल ब्रोमविच ने बताया, "हम सबसे अच्छी वैज्ञानिक जानकारी के आधार ही आर्कटिक में ऊर्जा दोहन के बारे में फैसले करते हैं. हम सुनिश्चित करेंगे कि तेल कंपनी की गतिविधियां सुरक्षित वातावरण में हों और पर्यावरण के लिए जिम्मेदारी का पालन किया जाए."

पर्यावरणवादी नाराज

बेशक, शेल ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन पर्यावरणविदों के माथे पर बल पड़े हुए हैं. उनका कहना है कि यह फैसला खतरनाक और निराशाजनक है क्योंकि इससे आर्कटिक सागर के इलाके के वन्य जीवन और वहां की मूल प्रजातियों को खतरा पैदा हो सकता है.

सेंटर फॉर बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी, सिएरा क्लब और अलास्का वाइल्डरनेस लीग जैसी पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने एक साझा बयान जारी कर रहा है कि 2010 में मेक्सिको की खाड़ी में हुए तेल रिसाव के बाद पर्यावरण को लेकर बड़ी चिंताएं जाहिर की गई थीं. पर अमेरिकी अधिकारियों के इस फैसले में वे सारी चिंताएं खारिज कर दी गई हैं. अर्थजस्टिस संस्था की वकील होली हैरिस ने कहा, "यह एक हादसे के इंतजार में बैठने जैसा है. इसके बावजूद ब्यूरो आर्कटिक सागर में दोहन का काम शुरू कर रहा है. यह फैसला विज्ञान को तो नजरअंदाज करता ही है, इसने व्हेल, सील और ध्रुवीय भालू जैसी खत्म हो रही प्रजातियों के घर को भी खतरे में डाल दिया है, जिसे माफ नहीं किया जा सकता."

ओबामा के कहने पर

अमेरिका में हाल ही में तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसके बाद वहां के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मई महीने में गृह मंत्रालय से कहा था कि अलास्का के राष्ट्रीय पेट्रोलियम रिजर्व को लीज पर देने का काम शुरू किया जाए. उन्होंने अन्य इलाकों में भी तेल उत्पादन को बढ़ावा देने की बात कही. उन्होंने कहा, "तेल की कीमतों में इस तरह की बढ़ोतरी अक्सर थोड़े वक्त के लिए होती है. लेकिन इन समस्याओं का कोई फौरी हल नहीं हो सकता. इसलिए कुछ कदम उठाने होंगे. ऐसा करने के लिए मैं गृह मंत्रालय को निर्देश दे रहा हूं कि अलास्का के राष्ट्रीय पेट्रोलियम रिजर्व में सालाना लीज देने का काम शुरू करे."

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तस्वीर: Fotolia/Achim Baqué

मेक्सिको खाड़ी तेल रिसाव संकट के सबक

मेक्सिको की खाड़ी में पिछले साल हुआ तेल रिसाव साल की सबसे बड़ी खबरों में था. पेट्रोलियम उद्योग के इतिहास की उस सबसे बड़ी त्रासदी में तीन महीने तक समुद्र में तेल रिसता रहा. ऐसा 20 अप्रैल 2010 को ब्रिटिश पेट्रोलियम के एक तेल कुएं में हुए विस्फोट की वजह से हुआ. पिछले साल नवंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक तेल रिसाव के क्षेत्र में से 6,814 मृत जानवर बरामद हो चुके थे. इनमें 6,104 पक्षी, 609 कछुए, 100 डॉल्फिन और अन्य जानवर शामिल हैं.

आर्कटिक सागर में जिंदगी

अलास्का में अमेरिका का राष्ट्रीय पेट्रोलियम रिजर्व पर्यावरण के लिहाज से एक अहम क्षेत्र है. इस क्षेत्र में टेशेकपक झील है जो कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का बसेरा है. यहां ग्रिज्ली भालुओं की बड़ी तादाद पाई जाती है. और भी हजारों प्रजातियों के लिए यह एक संरक्षित क्षेत्र है. यही वजह है कि आर्कटिक नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूज में तेल दोहन अमेरिका के लिए एक राजनीतिक मुद्दा भी रहा है. इसके लिए 1977 से ही विवाद चल रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन