अंधाधुंध बचत से जा रही हैं जानें
२७ मार्च २०१३करीब 200 साल पुरानी विज्ञान पत्रिका लैंसेट के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी मुश्किलों का सामना करने के लिए मजबूत सामाजिक सुरक्षा संरचना की जरूरत है. लेकिन दक्षिण यूरोप के देशों में आए नियमित वित्तीय संकटों के बाद सुरक्षा नेटवर्क नष्ट हो रहे हैं. सर्वे का नेतृत्व करने वाले लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन के प्रोफेसर मार्टिन मैककी का कहना है, "संकट के स्वास्थ्य पर होने वाले असर को नकारने की साफ समस्या दिख रही है. हालांकि वह एकदम स्पष्ट है."
बजट में कटौतियों को कर्ज संकट दूर करने की दवा माना जा रहा है, लेकिन उसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है, जिसके कारण लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं. लेकिन कम होती आय के कारण डॉक्टरों के पास जाने वाले लोगों की तादाद भी कम हो रही है. 2008 में वित्तीय संकट और यूरोपीय देशों में कर्ज संकट शुरू होने के बाद से सरकारों के चलाए जाने वाले समाज कल्याण कार्यक्रमों और स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कटौती की गई. हर देश में इलाज को नियंत्रित कर कर दिया गया है और अस्पताल का इस्तेमाल करने के लिए अतिरिक्त फीस जैसे कदम उठाए गए हैं. एक नए सर्वे का कहना है कि जिन देशों में सरकारी खर्च में सबसे ज्यादा कटौती की गई है, मसलन ग्रीस, स्पेन और पुर्तगाल, मेडिकल सर्वे में उनका प्रदर्शन सबसे खराब रहा है.
प्रोफेसर मैककी का कहना है, "बचत के कदमों ने आर्थिक मुश्किलों को हल नहीं किया है, लेकिन उन्होंने बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर दी हैं." वह कहते हैं कि स्वास्थ्य की खराब होती हालत का कारण सिर्फ बेरोजगारी नहीं, बल्कि बेरोजगारी की स्थिति में मदद वाली सामाजिक कल्याण व्यवस्था का न होना है, "लोगों को भरोसा होना चाहिए कि सरकार मुश्किल समय में उनकी मदद करेगी."
सर्वे के अनुसार ग्रीस खास तौर पर परेशान है. सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए मैककी और उनके साथियों ने कहा है कि 2011 में ग्रीस में आत्महत्या की घटनाओं में एक साल पहले के मुकाबले 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है. ग्रीस ने पिछले साल ड्रग का इस्तेमाल करने वालों में एचआईवी संक्रमण के मामलों में तेजी की भी रिपोर्ट दी है. इसकी वजह सुई एक्सचेंज प्रोग्राम रोके जाने के बाद लतियों द्वारा दूषित सिरिंज का इस्तेमाल बढ़ना है.
हाल के सालों में ग्रीस में मलेरिया, वेस्ट नील वाइरस और डेंगू जैसी महामारियां भी सामने आई हैं. राहत संस्था डॉक्टर्स विदाउट बोर्डर्स की ग्रीक शाखा के महानिदेशक विलेम डे जोंगे कहते हैं, "ये ऐसी बीमारियां नहीं हैं जिन्हें हम यूरोप में देखने की उम्मीद करते हैं." 2011 में इस संस्था ने मलेरिया को रोकने में ग्रीस सरकार की मदद की थी. अधिकारियों द्वारा मच्छरों को मारने का अभियान रोके जाने के बाद वहां मलेरिया की महामारी शुरू हो गई थी. जोंगे कहते हैं, "सरकार में कुछ करने की भारी तैयारी है लेकिन संसाधनों का अभाव है."
स्पेन की राजधानी मैड्रिड में क्लिनिको सैन कार्लोस अस्पताल के बाहर मरीज स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती हालत पर चिंता जताते हैं. 54 वर्षीया बेरोजगार नर्स मैरी कार्मेन कैरवेरा कहती हैं, "कटौतियों का असर कई तरह से दिखता है." कैरवेरा की मां दिल की गंभीर समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती थीं, जिसमें ऑपरेशन की जरूरत थी. कैरवेरा का कहना है कि उन्हें बहुत जल्दी अस्पताल से डिसचार्ज कर दिया गया और सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. "जब वे अस्पताल में थीं नर्सिंग स्टाफ उनकी ठीक से साफ सफाई नहीं करता था. यह काम मुझे करना पड़ता था."
इसके बावजूद मैककी और उनके साथियों ने पाया है कि कर्ज में डूबा हर देश सेहत के मामले में मुश्किलों में नहीं है. आइसलैंड संकट से उबरने का वैकल्पिक उदाहरण बनकर उभरा है. बैंकिंग सेक्टर में भारी नुकसान के बावजूद आइसलैंड ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट डील को ठुकरा दिया और सामाजिक सुरक्षा संरचना में कटौती करने से इनकार कर दिया. मैककी और उनके साथियों ने वहां आत्महत्याओं में कोई इजाफा नहीं पाया. संभव है कि लोग देश के दिवालियेपन के कगार पर पहुंचने के बाद से ज्यादा सेहतमंद हो गए हैं, जो इस बात का नतीजा हो सकता है कि खाने की बढ़ती कीमतों के कारण ग्लोबल जंक फूड चेनों ने अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है.
सर्वे से एक और मजेदार बात पता चली कि आर्थिक मुश्किलों का असर सड़क दुर्घटनाओं और अंग प्रत्यारोपण पर भी पड़ा है. तंगी के कारण बहुत से लोग कार छोड़कर सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करने लगे हैं जिसके कारण सड़क दुर्घटनाएं कम हुई हैं और दुर्घटनाओं के कम होने से स्पेन और आयरलैंड जैसे देशों में अंग प्रत्यारोपण के लिए अंगों का अभाव हो गया है.
एमजे/एजेए (एपी, रॉयटर्स)