आसमां ने चुराया हमारा चांद
१९ अक्टूबर २०१२जी हां, बिल्कुल. धरती के आसमान पर चमकने वाला वाला चांद कभी धरती का ही हिस्सा था. नए दावों के साथ धरती और चांद के बारे में ये सिद्धांत फिर सामने आया है. इसे प्रतिपादित किया है हार्वर्ड युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने.
विज्ञान की जानी मानी पत्रिका "साइंस" में प्रकाशित एक लेख में सारा स्टीवर्ट और मतीजा उक ने कहा है कि चांद कभी धरती का हिस्सा था जो बाद में एक भयानक टक्कर के बाद धरती से अलग हो गया. इन वैज्ञानिकों के मुताबिक जब चंद्रमा का जन्म हुआ था तब धरती ज्यादा तेजी से घूमती थी. तब एक दिन बमुश्किल दो या तीन घंटे का होता था.
वैज्ञानिकों ने अपने दावे का आधार उस रासायनिक पदार्थ को बनाया है जो चांद की सतह पर पाया गया है. ये सिद्धांत उस दावे का समर्थन करता है जो आज से 37 साल पहले दिया गया था. 1975 में वैज्ञानिकों ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि धरती से एक विशालकाय चट्टान के टकराने के बाद ही चांद का जन्म हुआ था. वैज्ञानिकों के दावे के मुताबिक धरती से टकराने वाली चट्टान का आकार प्रकार मंगल के बराबर था. इसे ग्रीक पुराणों में थिया कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक टक्कर के बाद थिया का विघटन हो गया और वो पिघल गया. इसी तरह चट्टानें भी पिघल गईं. भाप बनकर उड़ गई और फिर इनके ठंडी होकर जमने के बाद चांद अस्तित्व में आया.
इस सिद्धांत के सहारे ये भी बताया गया था कि चांद का आकार प्रकार इतना बड़ा क्यों है. चांद का आकार प्रकार धरती के एक चौथाई है. हमारे सौर मंडल का ये पांचवा सबसे बड़ा उपग्रह है.
अभी तक चांद की उत्पत्ति को अपोलो मिशन में लाई गई चट्टानों के सहारे समझा जाता था लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्हें रासायनिक सबूत मिल गए हैं.
हार्वर्ड युनिवर्सिटी की वेबसाइट में भी ये लेख प्रकाशित हुआ है. नये सिद्धांत के मुताबिक धरती की गति बाद में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कम हो गई. ये गुरुत्वाकर्षण बल सूर्य के चारों ओर धरती के चक्कर लगाने से और धरती के चारों ओर चांद के चक्कर लगाने से पैदा होता है.
वीडी/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)