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आस्था और लक्ष्य के बीच उलझे खिलाड़ी

२५ मई २०१२

बड़े मुकाम हासिल करने की चाहत में अकसर आस्था साथ होती है. एक भरोसा साथ होता है. लेकिन अगर यही श्रद्धा लक्ष्य की राह में आडे़ आ जाए तो क्या होगा. लंदन ओलंपिक में मुसलमान खिलाड़ियों के साथ कुछ ऐसी ही समस्या खड़ी है.

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तस्वीर: AP

लंदन ओलंपिक 27 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान भी है. रमजान 20 जुलाई से शुरू होगा और 19 अगस्त के आस पास चांद दिखने के साथ खत्म होगा. रमजान के दौरान रोजा रखने वाले दिन भर कुछ खाते पीते नहीं हैं. ऐसे में 3,500 मुसमान खिलाड़ी कैसे प्रदर्शन करेंगे.

कतर ने पहली बार महिला खिलाड़ियों को ओलंपिक खेलों में भेजा है. दल में 17 साल की फर्राटा धावक नूर अल मलिकी भी हैं. मलिकी 100 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना चुकी हैं. लंदन में उनकी कोशिश कम से कम अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ने की होगी. लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें पर्याप्त ताकत और क्षमता की जरूरत पड़ेगी. भूखे पेट और सूखे गले के साथ इतना स्टैमिना जुटाना मुमकिन नहीं लगता.

तो क्या वह रोजा नहीं रखेंगी. यह सवाल नूर समेत हजारों मुस्लिम खिलाड़ियों के जेहन में घूम रहा है. नूर कहती हैं, "यह बहुत मुश्किल होगा लेकिन यह रमजान है. आपको रमजान का सम्मान करना है. लेकिन मैं नया नेशनल रिकॉर्ड बनाना चाहती हूं. अगर इसमे कोई दिक्कत है तो मैं रोजा नहीं रखूंगी."

Muslime im Ramadan
तस्वीर: picture-alliance/dpa

इराक के भाला फेंक खिलाड़ी अम्मार मेक्की कहते हैं, "बिना तेल के आप एक मशीन से काम करने की उम्मीद कैसे करते हैं."

मेक्की के हमवतन और 800 मीटर के धावक नबील मादी इस अनुभव से गुजर चुके हैं, "रोजा रखना और रमजान में दौड़ना बहुत मुश्किल है. मैं सिरदर्द के साथ दौड़ रहा था. मुझमें शक्ति ही नहीं थी."

बहस की उलझन

यात्रा, बीमारी या अन्य वजहों से रोजे में छूट होती है. ऐसा नहीं है कि पहली बार रमजान बड़े आयोजनों के बीच में आया है. पिछले साल दक्षिण कोरिया में वर्ल्ड फील्ड चैंपियनशिप और 2010 में सिंगापुर यूथ ओलंपिक्स के वक्त भी रमजान पड़ा था. पाकिस्तान ने इमरान खान की अगुवाई में ऐतिहासिक क्रिकेट वर्ल्ड भी रमजान के दौरान जीता था. हालांकि ज्यादातर क्रिकेटरों ने मैच में रोजा नहीं रखा था.

इस्लाम की धार्मिक पुस्तक कुरान की व्याखा करने वाले कुछ लोग कहते हैं कि यात्रा के दौरान रोजा न रखने की छूट दी जाती है. खिलाड़ी ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं, यानी वे यात्रा पर हैं. लंदन ओलंपिक में शामिल होने वाले खिलाड़ी चाहते हैं कि इस बार रोजे को लेकर फैसला उलेमा करें. एथलीट अपने अपने देशों के उलेमाओं और विद्वानों से मशविरा करना चाहते हैं. उन्हें फतवे का भी इंतजार हैं.

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मध्य पूर्व सेंटर के निदेशक फवाज ए गेरगेस कहते हैं, "एथलीट ऐसे इस्लाम के शिक्षक और विद्वानों को ढूंढ लेंगे जो उन्हें वैध और ओलंपिक में हिस्सा लेने का रास्ता बता सकेंगे. वे धर्मार्थ दान, गरीब परिवारों को खाना खिला कर या बाद में उपवास रखकर काम चला सकते हैं. मेरा मन कहता है कि मुस्लिम विद्वान इस मसले पर लचीला रुख अपनाएंगे."

it s a picture about moroccan people who are coming from the mosque in Temara, a city near to Rabat. Stichwort: Marokko, Religion, Jugend. Foto: Sara Zeroual Ort: Marokko, Datum: 5.2010
तस्वीर: DW

लेकिन मिस्र और खाड़ी के कुछ देश गेरगेस की सोच से इत्तेफाक नहीं रखते. मिस्र में सुन्नी समुदाय के एक विद्वान शेख फवाजी जेफजाफ कहते हैं, "इस्लाम में ये बातें साफ हैं. ओलंपिक रोजा न रखने के लिए जरूरी कारण नहीं है." लंदन पहुंचने के बाद यह नहीं माना जा सकता कि खिलाड़ी यात्रा कर रहे हैं.

एक अन्य धार्मिक विद्वान अब्देल मोइती बायोओमी कहते हैं, "जिस दिन खिलाड़ियों को कठिन शारीरिक गतिविधि करनी है, मुमकिन हो तो उस दिन उन्हें रोजा रखना चाहिए. लेकिन अगर उन्हें बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी का अनुभव हो तो फिर रोजा रखने या तोड़ने का फैसला उनके और भगवान के बीच निर्भर करता है."

संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी फुटबॉल टीम को रोजा न रखने की छूट दी है. तर्क दिया है कि खिलाड़ी यात्रा पर हैं और वे किसी भी स्थान पर चार दिन से ज्यादा नहीं रुक रहे हैं.

आस्था बनाम मुकाम

वैसे इस समस्या से सिर्फ मुसलमान खिलाड़ी ही नहीं जूझते. आस्था और खेल के बीच तालमेल बैठाना खिलाड़ियों के लिए नई बात नहीं है. रूढ़ीवादी यहूदी शुक्रवार सूर्यास्त के बाद शनिवार को सूरज डूबने तक कुछ नहीं खाते. कई खिलाड़ी इस दौरान मैदान पर भी नहीं उतरते. कई ईसाई खिलाड़ी रविवार के दिन खेल से परहेज करते हैं. 1991 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रिटेन के ट्रिपल जंपर जोनाथन एडवर्ड्स ने सिर्फ रविवार के चलते प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया. 1924 ओलंपिक की 100 मीटर दौड़ में स्कॉटलैंड के एरिक लिडेल ने हिस्सा नहीं लिया. उन पर बाद में एक एक फिल्म भी बनी. चैरियट्स ऑफ फायर नाम की इस फिल्म को ऑस्कर पुरस्कार भी मिला.

विज्ञान भी इस पहेली का सटीक जवाब नहीं देता. हालांकि ज्यादातर वैज्ञानिक मानते हैं कि भूखे, प्यासे रहने वाले खिलाड़ी अन्य की तुलना में ज्यादा थकते हैं.

ओएसजे/एजेए (एपी)

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