इटली में पास्ता कॉम्पिटिशन
२२ अप्रैल २०१०'मात्तेरेल्लो द ओरो' यानी सुनहरा बेलन, यह नाम है इस पास्ता कॉम्पिटिशन का. 90 वर्षीय इवो गल्लेत्ति नामक महिला ने चौबीस साल पहले इस नाम से यह प्रतियोगिता शुरू की थी. इस प्रतियोगिता में 'ला स्फोलिया' नाम का ख़ास पारंपरिक पास्ता बनाया जाता है. यह इतना ख़ास है कि इसे बनाने वाली महिलाओं को भी नाम दिया गया है: इन्हें कहते हैं 'स्फोलाइन'. यहां आने वाली महिलाओं को जीत की कोई परवाह नहीं है, इन्हें तो बस पास्ता बनाने में मज़ा आता है.
परम्परा बचाने का प्रयास
इस प्रतियोगिता को शुरू करने के पीछे इवो गल्लेत्ति का मकसद था बोलोनिया में घर पर पास्ता बनाने की परंपरा को बचाए रखने का. मार्किट में रेडी-मेड पास्ता उपलभ्द होने के कारण घर पर पास्ता बनाने की परंपरा ख़त्म सी होती चली जा रही है. इवो गल्लेत्ति के पोते अन्द्रेआ तेदेची का इस बारे में कहना है "स्फोलिया और पास्ता जैसी परम्पराएं तो अब हमारे देश के ज़्यादातर हिस्सों में मर ही चुकी हैं, पर यहां यह अमर हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि यह परंपरा हमेशा यूं ही बनी रहे. पर सच कहूं तो हर साल यहां पहले की तुलना में और भी कम युवा आते हैं."
संख्या कम भले ही हुई हो, उसके बावजूद इस साल यहां तीन सौ से अधिक प्रतियोगिओं ने हिस्सा लिया और इसका पूरा लुत्फ़ भी उठाया. हिस्सा लेने के लिए ज़रुरत है सिर्फ एक बेलन की. आटा, चौका और बाकी सब सामान आयोजक खुद ही देते हैं. एक घंटे के अन्दर सभी महिलाओं को आटा गूंथ कर उसे बेलना होता है. यह कुछ वैसा ही है जैसे भारत में औरतें पापड़ बेलती हैं. बस इनका आकार काफी बड़ा होता है.
विजेता को सोने का ब्रूच
अन्नामारिया स्टेफानेल्ली पिछले बीस सालों से यहां जूरी का हिस्सा हैं. वो बताती हैं कि उन्होंने दस अंक आज तक एक ही बार दिया है. "लेकिन वो यहां की नहीं थी, वो एक जापानी महिला थी." और इतनी मेहनत के बाद विजेता को ईनाम में मिलता है सोने का एक ब्रूच जिस पर बेलन और स्फोलिया बना होता है. इसीलिए इस प्रतियोगिता का नाम भी है सुनहरा बेलन.
रिपोर्ट - ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे