इटली में बुरक़े पर बैन की वकालत
९ अक्टूबर २००९इस वक़्त इटली में बुऱकों के ख़िलाफ एक आंशिक प्रतिबंध है लेकिन प्रस्तावित क़ानून के बाद ''धार्मिक कारणों से पहने गए वस्त्रों“ पर प्रतिबंध लग जाएगा. प्रधानमंत्री बेरलुस्कोनी की समर्थक नार्थर्न पार्टी दलील दे रही है कि इस कानून के लागू होने से सुरक्षा की स्थिति बेहतर होगी.
दरअसल नार्थर्न लीग पार्टी का कहना है कि 1975 में बने इस कानून में बदलाव की ज़रुरत है. पार्टी के मुताबिक इस क़ानून को देश में छिपकर लड़ने वाले इटली के ही सरकार विरोधी गुटों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था. लेकिन अब इसी क़ानून के दायरे दूसरे देशों आने वाले नागरिकों को भी शामिल किया जाना चाहिए.
नॉर्थर्न लीग के प्रमुख रोबेर्तो कोता ने कहा कि इस प्रस्ताव से सुरक्षा बेहतर होगी. लेकिन इसके ख़िलाफ़ भी कई आवाज़ें उठ रही हैं.
मारियो स्कियालोया, पूर्व राजनयिक और इटली के इस्लामी सांसकृतिक केंद्र के प्रमुख कहते हैं कि यह प्रस्ताव इस्लामी समुदाय को समाज से अलग करेगा. उन्होंने इटली की सरकार से विनती की कि वह मुस्लिम महिलाओं का सम्मान किया जाए. विपक्ष की नेता दोनातेला फेर्रांती ने कहा कि यह प्रस्ताव असंवैधानिक है क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता को रोकता है.
कुछ अन्य नेताओं का भी मानना है कि बुरक़ा अपने आप में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है. स्कियालोया खुद ही कहते हैं कि बुरक़े को लेकर क़ुरान में कुछ नहीं लिखा गया है.
इस बीच प्रधानमंत्री बर्लुस्कोनी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप की वजह से सत्ताधारी पार्टी वैसे ही दबाव में है. और इस प्रस्ताव से सरकार की परेशानियां घटने के बजाए बढ़ ही रही हैं.
रिपोर्ट- रॉयटर्स/एम गोपालकृष्णन
संपादन- ओ सिंह