इतिहास में आज: 4 सितंबर
३ सितम्बर २०१४अमेरिका और फ्रांस के सहयोग से चलाए जा रहे खोजी अभियान में टाइटेनिक के अवशेषों का पता चला. इस अभियान का नेतृत्व डॉक्टर रॉबर्ट बलार्ड कर रहे थे. जांच दल को पता चला कि जहाज समुद्र में 2.5 मील या करीब 4 किलोमीटर की गहराई पर पड़ा हुआ है. टूटे फूटे जहाज की पहली तस्वीरें इस अभियान में शामिल आर्गो नामकी एक मानवरहित पनडुब्बी से ली गईं थीं.
इन तस्वीरों को बड़ा करने पर रिसर्चरों को समुद्रतल पर जहाज का बॉयलर पड़ा हुआ दिखा. इसके बाद कई और रंगीन कैमरों को पानी के भीतर भेज कर तस्वीरें ली गईं. टाइटेनिक दुर्घटना से बच कर निकले कुछ लोगों और दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिवारजनों की यही इच्छा थी कि जहाज के अवशेषों को छेड़ा ना जाए. वे उसे अपने लोगों की समाधि मानते हैं. टाइटेनिक दुर्घटना में इस जहाज पर सवार 1,500 लोग मारे गए थे.
अमेरिकी नेवी ने कई उपकरणों की मदद से आठ हफ्ते तक खोज अभियान चलाकर जहाज की पहली तस्वीरें पाने में सफलता पाई थी. 1994 में एक अमेरिकी कोर्ट ने न्यू यॉर्क की आरएमएस टाइटेनिक आइएनसी. नामकी कंपनी को अवशेषों को बाहर निकालने के विशेष अधिकार दिए. टाइटेनिक के मलबे की छानबीन करने का अधिकार आज भी केवल इसी संस्था के पास है. अब कंपनी उच्च तकनीक और बढ़िया रिजॉल्यूशन वाले कैमरों की मदद से जहाज के मलबे की 3डी तस्वीरें बनाने पर काम कर रही है.