ईरान के तेल पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध
२३ जनवरी २०१२ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के बाद एक अधिकारी ने कहा, "तेल प्रतिबंध लगाने पर राजनीतिक सहमति हो गई है." बैठक में यूरोपीय संघ के 27 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया. ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने कहा, "ईरान लगातार संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव की अवहेलना कर रहा है और यूरेनियम को 20 फीसदी तक संवर्धित कर रहा है. इसके लिए उसके पास कोई नागरिक सफाई भी नहीं है."
प्रतिबंधों के जरिए पश्चिमी देश ईरान को बातचीत की मेज तक लाना चाहते हैं. इसके संकेत देते हुए ब्रिटिश विदेश मंत्री ने कहा, "इस पर सहमति है कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर ईरान पर समझौते के लिए दबाव बढ़ाएं."
ईरान पर प्रतिबंध लगाने को लेकर यूरोपीय संघ के अंदर ही कई हफ्तों तक बातचीत चलती रही. लेकिन सोमवार को यूरोपीय संघ ने फैसला किया कि उसके 27 देश तुरंत ईरान से तेल आयात करना बंद कर देंगे. ईरानी कंपनियों के साथ किए गए करारों को भी एक जुलाई तक खत्म कर दिया जाएगा.
प्रतिबंधों के बीच बातचीत का रास्ता
जर्मनी को उम्मीद है कि प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी अगर ईरान बातचीत या किसी समझौते की दिशा में आगे बढ़ता है कि तो तेहरान को रियायत दी जा सकती है. जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा, "अगर ईरान पारदर्शिता का भरोसा दिलाए और यह साफ कर दे कि ईरान परमाणु हथियार वाला देश नहीं बनने जा रहा है तो यह प्रतिबंध किसी भी समय खत्म किए जा सकते हैं." यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद जर्मनी के पास परमाणु हथियार नहीं है. जर्मनी परमाणु हथियारों का विरोध करता है.
सिर्फ ईरान पर नहीं पड़ेगी प्रतिबंधों की मार
प्रतिबंधों की मार ईरान के साथ यूरोपीय संघ के सदस्य देश ग्रीस पर भी पड़ेगी. ग्रीस का एक तिहाई कच्चा तेल ईरान से आता है. ईरान यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को 20 फीसदी कच्चा तेल बेचता है. ग्रीस, स्पेन और इटली इस तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं. आर्थिक संकट से गुजर रहे ग्रीस के ईरान के साथ वित्तीय रिश्ते भी हैं. ग्रीस ने पहले यूरोपीय संघ के सामने प्रतिबंधों को लागू करने के लिए एक साल का वक्त देने की मांग की. एथेंस का कहना था कि उसे जब तक कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं मिलता तब तक वह प्रतिबंधों की सिफारिश नहीं कर सकता है. लेकिन कई हफ्तों तक चली बातचीत के बाद सोमवार को ग्रीस भी ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर रजामंद हो गया.
यूरोपीय संघ ईरान की 433 फर्मों और 113 व्यक्तियों की संपत्ति पहले ही सीज कर चुका है. तेल और गैस उद्योग पर भी नकेल कसी जा रही है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान परमाणु बम बनाने के करीब बढ़ता जा रहा है.
कुछ और कड़े प्रतिबंध
यूरोपीय संघ चाहता है कि ईरानी अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर प्रहार किया जाए. उम्मीद है कि आर्थिक मुश्किलें होने से तेहरान परमाणु कार्यक्रम के रास्ते से हट जाएगा. आने वाले दिनों में ईयू ईरान पर कुछ और कड़े प्रतिबंध लगा सकता है. ईरान के केंद्रीय बैंक के साथ कारोबार पर पाबंदी लगाई जा सकती है. साथ ही ईरान के पेट्रोकेमिकल्स और सोने के उद्योग पर भी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी कुछ ऐसे ही कड़े प्रतिबंध लगाने के अधिकार देने वाले रक्षा विधेयक पर दस्तखत कर चुके हैं. उधर ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि ऐसे प्रतिबंध लगाए गए तो ईरान कड़ा जवाब देगा.
कूटनीतिक दांव पेचों के बीच रविवार को ईरान के आस पास सैन्य गतिविधियां भी बढ़ गईं. अमेरिकी सेना का विमानवाहीपोत यूएसएस अब्राहम लिंकन होर्मुज जलमार्ग पार कर ईरान के पास फारस की खाड़ी में पहुंच चुका है. अमेरिकी जहाज के साथ ब्रिटेन और फ्रांस के युद्धपोत भी है. नौसेना के यह जहाज फारस की खाड़ी में अभ्यास करेंगे.
अब नजरें भारत और चीन पर हैं. भारत ईरान का 13 फीसदी और चीन 22 फीसदी तेल खरीदता है. भारत और चीन अब तक अमेरिका के दबाव में नहीं झुक रहे हैं. वहीं ग्रीस समेत यूरोपीय संघ के अन्य देशों को उम्मीद है कि सऊदी अरब के साथ नए करार कर और लीबिया में तेल उत्पादन बढ़ाकर वह अपनी जरूरत पूरी कर सकेंगे.
रिपोर्ट: एएफपी, डीपीए/ओ सिंह
संपादन: महेश झा