ईरान के लिए खोला दरवाजा
२७ फ़रवरी २०१३कजाकिस्तान की पूर्व राजधानी अलमाती में अप्रैल में मुलाकात से पहले अमेरिका, फ्रांस, चीन, रूस, जर्मनी और ब्रिटेन की एक बैठक तुर्क शहर इस्तांबुल में भी होगी. उन्होंने कहा कि अगर ईरान सहयोग का रास्ता अपनाता है, तो उस पर लगी पाबंदियों को कम करने पर विचार किया जा सकता है.
ईरान बार बार इस बात से इनकार करता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम हथियारों के निर्माण के लिए है. लेकिन ताजा पेशकश के बाद उसके वार्ताकार ने इस बात की तारीफ की है. ईरान का पड़ोसी और मध्य पूर्व के इकलौते गैरमुस्लिम राष्ट्र इस्राएल ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने अपने कार्यक्रम नहीं रोके, तो उसके खिलाफ सैनिक कार्रवाई भी की जा सकती है. मध्य पूर्व में इस्राएल ही इकलौता देश है, जिसके पास परमाणु हथियार भी हैं.
ईरान का कहना है कि छह राष्ट्रों ने जिम्मेदारी भरा कदम उठाया है और इस मुलाकात के बाद उसके नजरिए को भी समझने में मदद मिलेगी. इस बातचीत का रास्ता ऐसे वक्त में खुल रहा है, जब ईरान में इसी साल जून में राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है और वहां राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है.
ईरान से उम्मीद
यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रभारी कैथरीन एशटन का कहना है, "हमें लगता है कि हमने जो प्रस्ताव रखा है, उस पर ईरान ने गंभीरता से विचार किया है. हमें देखना है कि आगे क्या होता है."
अलमाती में एक अधिकारी ने बताया कि अब अगले दौर की बातचीत पर रजामंदी बन गई है और अगले महीने 18 मार्च को तुर्की के शहर इस्तानबुल में बैठक होगी. इसके बाद सभी पक्ष पांच और छह अप्रैल को अलमाती में दोबारा जुटेंगे, जहां आठ महीने में पहली बार ईरान और विश्व की छह शक्तियों की बैठक हुई है.
रूस के वार्ताकार सर्गेई रेयाबकोव ने इस बात की पुष्टि की है कि अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन रोकने पर राजी हो जाता है, तो उस पर लगी पाबंदियों को ढीला किया जाएगा. पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान यूरेनियम का संवर्धन परमाणु हथियारों के लिए कर रहा है.
'हमारा नजरिया समझो'
हालांकि ईरान के प्रमुख वार्ताकार सईद जलीली का कहना है कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र की आणविक एजेंसी आईएईए की देख रेख में अपना काम कर रहा है और उनके किसी कार्यक्रम को रोकने का कोई तुक ही नहीं बनता है. वह बार बार कहता आया है कि ईरान परमाणु ऊर्जा बनाने के लिए अपना कार्यक्रम चला रहा है और इसका हथियारों से कोई लेना देना नहीं है. हालांकि जलीली ने कहा कि ईरान बातचीत के लिए तैयार है, "बातचीत में इस पर चर्चा हो सकती है, ताकि आपसी भरोसा बढ़े."
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विशेषज्ञ अली वाज का कहना है कि बातचीत का कदम बढ़ा कर और पाबंदियों को हटाने की बात कह कर पश्चिम ने एक वर्जना तोड़ी है और इसका फायदा जरूर होगा. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की दीना एसफंदरी का कहना है, "मैं नोट कर रही हूं कि मूड बेहतर और सकारात्मक है. यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन अभी कोई समझौता नहीं हुआ है और मेरी नजर में ईरान में होने वाले चुनाव से पहले ऐसा कुछ होना मुमकिन भी नहीं दिखता."
एजेए/आईबी (रॉयटर्स)