ईरान ने डेनमार्क के राजदूत को बुला कर जताया विरोध
२५ जनवरी २०१२सरकारी मीडिया में जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यूरोप और अमेरिकी मामलों के प्रभारी उप विदेश मंत्री अली असगर काजी ने राजदूत से मुलाकात में यूरोपीय संघ के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है. पाबंदी लगाने को उप विदेश मंत्री ने, "अतार्किक फैसला" करार दिया है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उप विदेश मंत्री ने राजदूत आंदर्स क्रिस्टियान होउगार्ड से कहा, "ईरानी लोगों ने लगातार यह साबित किया है कि वो किसी भी दबाव के आगे अपने न्यायिक और कानूनी अधिकारों को नहीं छोड़ेंगे और भविष्य में भी वो ऐसा नहीं करेंगे."
काजी ने यूरोपीय संघ की इस फैसले के लिए कड़ी आलोचना भी की और उन्हें, "बिना सोचे समझे फैसला कर संकट पैदा करने के लिए जिम्मेदार" ठहराया. यूरोपीय संघ ने सोमवार को ईरान से तेल के आयात पर रोक लगा दी. यह कदम ईरान पर उसके विवादित परमाणु कार्यक्रम को रोकने और बातचीत की मेज पर वापस आने के लिए दबाव बनाने के मकसद से उठाया गया है.
मुस्लिम राष्ट्र ईरान हमेशा इस बात से इनकार करता है कि उसके परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य हथियार बनाना है. उसका दावा है कि वो शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहता है. ईरान पर पहले से ही संयुक्त राष्ट्र के चार स्तर के प्रतिबंध लगे हुए हैं. इसी बीच यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री उससे तेल के आयात पर तुरंत प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गए हैं. इसके साथ ही पिछले सभी करारों को भी एक जुलाई तक तोड़ दिया जाएगा. सिर्फ इतना ही नहीं ईरान के सेंट्रल बैंक की सारी संपत्तिया भी जब्त की जा रही हैं और वैध कारोबार को बहुत सख्त शर्तों के साथ करने की अनुमति दी जा रही है.
यूरोपीय संघ ईरान से औसतन 6 लाख बैरल प्रतिदिन तेल आयात करता है. ये आंकड़े पिछले साल में शुरू के 10 महीनों के हैं. भारत और चीन के साथ यूरोप भी ईरानी तेल का एक बड़ा बाजार है. भारत और चीन ने ईरान से तेल की खरीद रोकने के लिए अमेरिकी सरकार की तरफ से बनाए जा रहे दबाव को मानने से इनकार कर दिया है. इस बीच यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों ने ईरान के सामने विदेशी पैसों में भुगतान लेने की राह में भी मुश्किलें खड़ी कर दी है. 2011 में बेचे गए तेल के 100 अरब डॉलर से ज्यादा का भुगतान फंसा हुआ है.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह