उत्तरी एशिया शीतलहर के शिकंजे में
४ जनवरी २०१०शीत लहर पिछले बुधवार से उत्तर भारत में कम से कम सौ प्राणों की बलि ले चुकी है. कड़ाके की ठंड और घने कुहरे ने जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया है. कश्मीर और हिमाचल में ही नहीं, पंजाब के अमृतसर में भी तापमान शून्य से नीचे चला गया है. मौसम विभाग का कहना है कि हड्डियां चटखा देने वाली यह ठंड अभी कुछ और दिन बनी रहेगी.
भारत में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं. रविवार को 16 नई मौतों के साथ वहां मरने वालों की संख्या कम से कम 72 हो गई है. प्रदेश में न्यूनतम तापमान एक से ले कर चार डिग्री के बीच चल रहा है. बांदा, फ़तेहपुर, सोनभद्र और कानपुर के बेघर लोगों के बीच सबसे अधिक मौतें हुई हैं.
बिहार में अब तक 11 और झारखंड में 13 लोग कड़ाके की ठंड से दम तोड़ बैठे. बाक़ी मौतें जम्मू-कश्मीर तथा दिल्ली में हुई हैं. दिल्ली में घने कुहरे के कारण विमानों की उड़ानों और ट्रेनों के चलने में देर हो रही है.
सबसे अधिक कोहराम इस समय चीन और कोरिया में मचा हुआ है. चीन की राजधानी पेचिंग के सारे स्कूल बंद कर दिए गए हैं और लोगों से कहा जा रहा है कि वे सड़कों पर बर्फ हटाने में हाथ बंटाएं. वहां 1951 के बाद का सबसे भयंकर हिमपात हुआ है. बीते सप्ताहांत को पेचिंग और बंदरगाह नगर त्यांजिन में 30 सेंटीमीटर मोटी तह के बराबर बर्फ गिरी. पूरे देश में 30 राजमार्गों को बंद कर देना पड़ा. हवाई, सड़क और रेल यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. देश के कुछ हिस्सों में बिजली की आपूर्त में भी कटौती करनी पड़ी है.
चीनी अधिकारियों का कहना है कि राजधानी पेचिंग और त्यांजिन इलाक़े के साढ़े तीन हज़ार स्कूल सोमवार को बंद रहे. 22 लाख बच्चों की नववर्ष की छुट्टियों में एक और दिन जुड़ गया.
अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि भीषण ठंड और बर्फ़ के कारण खाने-पीने की चीज़ों की क़ीमतें बढ़ सकती हैं. उत्तरी चीन के कई शहरों के हवाई अड्डे बंद कर दिए गए हैं. चीन के मौसम विभाग को भी आशा नहीं है कि स्थिति में जल्द ही कोई सुधार आएगा. बल्कि, उसने चेतावनी दी है कि अगले दिनों में तापमान शून्य से 32 डिग्री सेल्ज़ियस तक नीचे गिर सकता है.
दुनिया से कटेफटे रहने वाले उत्तर कोरिया का तो पता नहीं है, लेकिन दक्षिण कोरिया भी ठंड से कराह रहा है. राजधानी सियोल को 70 वर्षों के बाद के सबसे भीषण हिमपात से जूझना पड़ रहा है. सड़कों पर 25 सेंटीमीटर मोटी बर्फ़ की परत चढ़ गई. देश के कई हवाई अड्डों को बंद कर देना पड़ा. राजधानी सियोल के पश्चिमी हवाई अड्डे को 224 उड़ानें रद्द कर देनी पड़ीं. इस बीच वहां से उड़ाने फिर से शुरू हो गई हैं.
हिमयुग जैसी इस व्यापक शीतलहर के समाचार से विश्वास करना कठिन हो जाता है कि विश्व की असली समस्या तापमान का लगातार बढ़ना है.
रिपोर्टः एजेंसियां/राम यादव
संपादनः ए कुमार