उत्तर कोरिया की एक और चेतावनी
९ अप्रैल २०१३उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी सीएनए के जरिए समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "कोरियाई प्रायद्वीप में हालात परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, जंग होने पर हम नहीं चाहते कि दक्षिण कोरिया में रहने वाले विदेशियों को नुकसान पहुंचे." बयान में यह भी अनुरोध किया गया है कि सभी विदेशी संगठन, कंपनियां और सैलानी यहां से निकलने की तैयारियों में जुट जाएं.
कोरिया पर नजर रखने वाले जानकार अब भी नहीं मान रहे कि उत्तर कोरिया सीधे सीधे दक्षिण कोरिया पर हमला करेगा. जानकारों का कहना है कि यह चेतावनी पहले आई चेतावनियों जैसी ही है जिसका मकसद महज दुनिया में हलचल मचाना है. इससे पहले शुक्रवार को उत्तर कोरिया ने अपने देश में मौजूद दूतावासों को हिदायत दी कि युद्ध होने पर वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकता.
पिछले हफ्ते की चेतावनी के बाद जिन देशों के दूतावास उत्तर कोरिया में हैं उन्होंने साफ कर दिया था कि उनकी यहां से तुरंत निकलने की योजना नहीं है. कुछ देशों ने तो यह भी कहा कि यह हिदायत कोरिया की स्थिति पर दुनिया भर में बढ़ रही बेचैनी को और बढ़ाने के लिए जारी की गई है. जानकार अगर ये कह रहे हैं कि सचमुच हमले की आशंका नहीं है तो इसके पीछे भी कुछ ठोस वजह हैं. बारह लाख सैनिकों वाली उत्तर कोरिया की मजबूत सेना से कोई ऐसा संकेत नहीं मिला है कि वह जंग की तैयारी कर रही हो. ऐसे में माना जा रहा है कि चेतावनियों का मकसद केवल देश के नए नेता किम जोंग उन की छवि को मजबूत करना है.
दक्षिण कोरिया ने कहा है वह काएसोंग औद्योगिक क्षेत्र में काम बंद करने के उत्तर कोरिया के फैसले से काफी निराश है. काएसोंग को बंद करने की खबर ने लोगों का ध्यान इस आशंका की ओर से हटा दिया है कि उत्तर कोरिया मिसाइल या परमाणु परीक्षण कर सकता है. दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में लोग रोजमर्रा के काम में जुटे हैं और वहां कोई खास हलचल नहीं दिखाई पड़ी है. काएसोंग में चलने वाली कई कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि उत्तर कोरियाई कर्मचारी काम पर नहीं आए हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी इस हफ्ते सियोल जा रहे हैं. इसी दौरान उत्तर कोरिया अपने संस्थापक किम इल सुंग के जन्मदिन का जश्न मनाएगा. इस दौरान मुमकिन है कि उत्तर कोरिया अपनी सामरिक ताकत का भी प्रदर्शन करे. किम इल सुंग वर्तमान नेता किम जोंग उन के दादा थे. वाशिंगटन में अमेरिकी उप विदेश मंत्री एश्टन कार्टर ने चीन से अपील की कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उत्तर कोरिया को समझाए.
कार्टर ने कहा, "मेरे ख्याल में रूस और कोरिया की हालत से वाकिफ दूसरे देश भी चाहते हैं कि चीन अपने और ज्यादा प्रभाव का इस्तेमाल करे." हालांकि चीन उत्तर कोरिया की कड़े शब्दों में आलोचना करे इसकी उम्मीद कम ही दिख रही है क्योंकि चीन का कहना है कि यहां अगर सरकार गिरी तो पहले से ही मुश्किलों में घिरे देश में हालात विस्फोटक हो जाएंगे.
एनआर/एजेए (एएफपी, रॉयटर्स)