उत्तर कोरिया में ठीक से नहीं रोए तो मिली कैद
१४ जनवरी २०१२यहां कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें छह महीने तक कैंप में रहने की सजा सुनाई गई है. इन लोगों पर शोक सभाओं में शामिल न होने के आरोप हैं. शोक सभा में नहीं रोने या फिर ठीक से अपनी भावनाओं को जाहिर न करने के आरोप में भी कुछ लोगों को सजा दी गई है. दक्षिण कोरियाई दैनिक एनके ने उत्तर कोरिया के उत्तरी हामक्योंग प्रांत के अज्ञात सूत्र के हवाले से यह खबर दी है.
लोगों को शिक्षा शिविरों या फिर ग्रामीण इलाकों में परिवार के साथ रहने के लिए भी भेजा गया. इन लोगों पर कम्युनिस्ट देश उत्तर कोरिया का शासन किम परिवार की तीसरी पीढ़ी को सौंपने की आलोचना करने का आरोप है. उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने खबर दी थी कि 17 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से 69 साल के किम जोंग इल की मौत हो गई. 17 साल तक देश की कमान उनके हाथ में थी. किम जोंग इल की मौत के बाद उनके सबसे छोटे बेटे किम जोंग उन को एक हफ्ते बाद सत्ताधारी पार्टी, देश, और सेना का सर्वोच्च नेता घोषित कर दिया.
सरकारी मीडिया ने दिखाया कि हजारों लोग अपने शासक को अंतिम विदाई देने के लिए प्योंग्यांग की सड़कों पर निकले. इस दौरान उनका दुख सार्वजनिक रूप से दुनिया के सामने आया. पूर्व शासक की तस्वीरों और मूर्तियों से लिपट लिपट कर लोग रो रहे थे और अपनी छाती पीट पीट कर मातम मना रहे थे.
डेली एनके ने बताया है कि राजकीय शोक का समय खत्म होने के बाद स्थानीय सरकारी कमेटियों, उद्योग जगत और व्यापारियों ने आलोचना की, जिसके बाद यह सजा लागू की गई है. यह अखबार उत्तर कोरिया से भाग कर आए कुछ लोग चलाते हैं. यह लोग उत्तर कोरियाई सरकार के विरोधी हैं.
अखबार ने अपने सूत्र का बयान भी छापा है जिसमें कहा गया है, "भय का एक वातावरण तैयार कर दिया गया है जिसमें लोग नए युवा शासक की आलोचना कर रहे हैं." इस बीच उत्तर कोरिया अपने शासकों की बड़ाई करने में जुटा है. किम परिवार की विरासत के बारे में खूब प्रचार किया जा रहा है.
उत्तर कोरिया ने इसी हफ्ते कम दूरी की तीन मिसाइलों का परीक्षण भी किया है. यह परीक्षण नियमित कार्यक्रम के तहत किए गए जो उत्तर कोरिया लगातार जारी रखे हुए है. दक्षिण कोरिया और जापान के एक अखबार ने इसके बारे में जानकारी दी. यहां तक कि किम जोंग इल के मौत की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के कुछ ही घंटे बाद भी मिसाइल दागे गए.
रिपोर्टः डीपीए, एपी/एन रंजन
संपादनः महेश झा