उम्मीदों से भरा क्लिंटन का म्यांमार दौरा
२९ नवम्बर २०११इसे म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति शुरू करने की पहल बताया जा रहा है, जहां देश के प्रतिनिधि हिलेरी क्लिंटन के स्वागत के लिए तैयार हैं. सड़कों के गड्ढे और हर तरफ अरजाकता के बीच लगभग 50 साल में यह पहला मौका है, जब अमेरिका का कोई मंत्री म्यांमार यानी बर्मा का दौरा कर रहा है.
देश में सैनिक तानाशाही है और पहले भी कई कई बार यहां ऐसे मौके आए हैं, जब लोकतंत्र स्थापित होने की उम्मीद जगी है, जो बाद में नाकाम हो गई है. इसकी वजह से म्यांमार के सत्ता पर हमेशा शक की नजर से देखा जाता है.
बदलाव की उम्मीद
यहां के सबसे बड़े शहर यंगून में रहने वाली मू-मू कहती हैं, "हमने मीडिया से सुना है कि हिलेरी क्लिंटन यहां आ रही हैं. मैं कोई कयास नहीं लगा सकती हूं कि क्या हो सकता है लेकिन मैं उम्मीद करूंगी कि जो कुछ हो अच्छा हो. लेकिन मुझे नहीं लगता है कि सैनिक शासन पूरी तरह से खत्म होने वाला है."
हालांकि देश में ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें इस दौरे से बहुत उम्मीद है. म्यांमार की राजधानी नेपादाव के एक टैक्सी ड्राइवर का कहना है, "यहां जिस तरह से राजनीतिक बदलाव हुए हैं, उसे देख कर मुझे नहीं लगता है कि यहां फिर से सैनिक शासन आ सकता है." अनजाने खतरे की वजह से नाम न बताने वाले इस ड्राइवर का कहना है, "हमारी सरकार को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ कदम मिला कर चलना होगा. हमें सही लोकतंत्र की राह पर चलने की जरूरत है."
सू-ची से मुलाकात
क्लिंटन की तीन दिनों की यात्रा के दौरान उन्हें राजधानी नेपादाव का दौरा कराया जाएगा और सैनिक अधिकारी उन्हें प्रस्तावित लोकतंत्र की राह के बारे में बताएंगे. सैनिक शासक थियान शेन के अलावा वह लोकतांत्रिक हितों के लिए संघर्ष कर रहीं नेता आंग सान सू-ची से भी मिलने वाली हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि क्लिंटन की इस यात्रा से रिश्ते बेहतर होने की अपेक्षा है. मानवाधिकारों के खराब रिकॉर्ड की वजह से म्यांमार पर दुनिया भर के देशों ने पाबंदी लगा रखी है. करीब 50 साल के सैनिक शासन के बाद इस साल मार्च में म्यांमार की जुंटा ने सत्ता एक नई सरकार को सौंप दी है. लेकिन इस नई सरकार में भी ज्यादातर सैनिक अधिकारी ही भरे हुए हैं, जिसके मुखिया राष्ट्रपति थियान शेन हैं.
सुधारवादी कदम
हालांकि हाल में कुछ सुधारवादी कदम उठाए गए हैं. इनमें विरोधियों से बातचीत शुरू करने के अलावा प्रमुख लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू-ची की रिहाई भी शामिल है. सू-ची ने पिछले 21 सालों में से 15 साल नजरबंदी में बिताए हैं. देश ने कानून पास कर मजदूरों को हड़ताल करने का अधिकार दे दिया है और आर्थिक सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सलाह ले रहा है. इसके अलावा करीब 200 राजनीतिक बंदियों को भी रिहा कर दिया गया है.
सू-ची की पार्टी लीग फॉर डेमोक्रेसी ने 1990 का चुनाव जीता था लेकिन उन्हें सत्ता में शामिल नहीं होने दिया गया. पर हाल में सरकार का नजरिया बदला है और उन्हें छूट मिल रही है. समझा जाता है कि वह एक बार फिर से संसद में जाने का रास्ता अपना सकती हैं. पिछले साल हुए चुनाव में उनकी पार्टी ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था, जिसमें सैनिक शासकों ने भारी जीत का दावा किया.
रिपोर्टः रायटर्स, एएफपी, एपी/ए जमाल
संपादनः प्रिया एसेलबॉर्न