एंडरसन विवाद: पीएमओ के पास फोन कॉल रिकॉर्ड नहीं
२३ जुलाई २०१०सूचना के अधिकार के तहत इस मामले पर सरकार से जानकारी मांगी गई थी जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कोई रिकॉर्ड न होने का जवाब दिया है. इस विवाद पर पीएमओ से सूचना मिलने के बाद उन परिस्थितियों को समझने में मदद मिलती जिनके चलते यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख एंडरसन को जमानत मिलने के बाद पहले भोपाल से दिल्ली और फिर दिल्ली से अमेरिका जाने दिया गया.
आरटीआई याचिका में पांच सवाल पूछे गए थे जिसमें भोपाल हादसे के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से अन्य देशों के साथ हुई टेलीफोन पर हुई बातचीत के बारे में जानकारी भी मांगी गई.
याचिकाकर्ता ने यह भी जानना चाहा कि 6 से 8 दिसम्बर 1984 के बीच इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेरिकी सरकार के किसी प्रतिनिधि को कोई फोन किया था या फिर उन्हें फोन आए थे.
इसी दौरान एंडरसन भारत आए थे. केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी संयुक्ता रे ने बताया, "याचिकाकर्ता दिसम्बर 1984 में प्रधानमंत्री की फोन पर बातचीत का ब्योरा लेना चाहता था. इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय भेज दिया गया. पीएमओ ने अपने जवाब में कहा है कि उसके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है."
2-3 दिसम्बर की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस के रिसाव के चलते बड़ी त्रासदी हुई जिसमें करीब 15,000 लोगों की मौत हुई. हादसे के तीन दिन बाद वॉरन एंडरसन ने भारत का दौरा किया और भोपाल में उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. स्थानीय अदालत ने उन्हें बाद में जमानत दे दी और फिर सात दिसम्बर 1984 को कभी वापस न आने के लिए एंडरसन अमेरिका लौट गए.
वहीं भोपाल ग्रुप ऑफ इन्फोरमेशन एंड एक्शन की रचना धींगड़ा कहती हैं कि उन्हें यह नहीं पता कि क्या सरकार के पास वाकई इस संबंध में जानकारी नहीं है या फिर मामले को ठंडा करने के लिए वह रिकॉर्ड न होने की बात कह रही है. रचना के मुताबिक यह सब जानते हैं कि एंडरसन को भोपाल से दिल्ली राज्य सरकार के विमान में लाया गया था. उसके बाद वह भारत से भी बच कर निकलने में सफल हो गए.
भोपाल गैस हादसे में हाल ही में एक कोर्ट ने सात आरोपियों को सेक्शन 304 ए के तहत दो साल जेल की सजा सुनाई है. फैसले में एंडरसन के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम